Panna News: घुमक्कड़ समाज की बेटी ने शिक्षा के पंख लगाकर भरी उड़ान, बालिका वधू की जंजीर तोड़ी, भोपाल पहुंचकर फार्मासिस्ट की कर रही है पढ़ाई

घुमक्कड़ समाज की बेटी ने शिक्षा के पंख लगाकर भरी उड़ान, बालिका वधू की जंजीर तोड़ी, भोपाल पहुंचकर फार्मासिस्ट की कर रही है पढ़ाई
  • घुमक्कड़ समाज की बेटी ने शिक्षा के पंख लगाकर भरी उड़ान
  • बालिका वधू की जंजीर तोड़ी
  • भोपाल पहुंचकर फार्मासिस्ट की कर रही है पढ़ाई

Panna News: जंगलों और जंगलों के किनारे डेरे बनाकर रहने वाला पारदी समाज जिन्हें बुंदेलखण्ड में बोलचाल की भाषा में बहेलिया के रूप में जाना जाता है। वन्य प्राणियों के शिकार में संलग्न रहने वाले इस समाज में चली आ रही अनेक पारंपरिक प्रथाओं की जंजीरें आज भी समाज को जकड़े हुए है। शिक्षा की रोशनी से सदियों से दूर रहे समाज के बच्चों के बीच बीते डेढ़ दशक के दौरान सरकार एवं सामाजिक संगठनों की ओर से शुरू किए गए प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आने लगे। बाघों और वन्यप्राणियों को बचाने के उद्देश्य के साथ ही वर्ष २०१० में सर्व शिक्षा अभियान के सहयोग से पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा पन्ना टाइगर रिजर्व तथा वन क्षेत्र में डेरा बनाकर रहने वाले बच्चे-बच्चियों को शिक्षा से जोडने के लिए अभिनव पहल शुरू हुई और बहेलिया पारदी समाज के बच्चों एवं बच्चियों के लिए आवासीय छात्रावास स्थापित करते हुए उनका स्कूलों में दाखिला करवाया गया और यहीं से शुरूआत हुई शिक्षा की किरणों से अंधकार को दूर करने के प्रयास किये।

वर्ष २०१० में बहेलिया समाज के अन्य बेटों व बेटियों के साथ सतना से मैहर से करीब १५ किलोमीटर दूर जंगली क्षेत्र भदनपुर से आए बहेलिया समाज के एक परिवार की नन्हीं बेटी प्रिया पारदी को दाखिला मिला। समाज की अन्य बेटियों के साथ पढ़ाई करने वाली प्रिया पारदी को उच्च शिक्षा के मुकाम तक पहुंचने के लिए अनेक चुुनौतियों का सामना करना पडा एक बार ऐसा भी समय आया जब समाज की परम्परा महज १४ साल की उम्र में उसका बचपन में ही विवाह कर दिया गया और विवाह के बाद उसे ससुराल जाने के लिए दोनों पक्षों तथा समाज के भारी दबावों की पीडा सहन करनी पडी परंतु प्रिया ने शिक्षा के पंख लगाकर अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उड़ान शुरू कर दी थी। बालिका वधू जीवन को अस्वीकार करते हुए उसने पढ़ाई जारी रखी और इस वर्ष भोपाल पहुंचकर टीआईटी कालेज में फार्मेसी की स्टूडेंट है। अपने सपनों को वह पढ़ाई पूरी करके सरकारी नौकरी हासिल करने के पक्के इरादे के साथ पढ़ाई कर रही है।

शिक्षा के साथ खेलकूंद में भी कमाया नाम

प्रिया पारदी अपनी चार बहिनों और दो भाईयों के बीच तीसरे नंबर की बेटी है। पन्ना टाइगर रिजर्व की शुरूआती पहल से पढ़ाई में उसके भाईयों व बहिनों को भी मदद मिली। कक्षा ८वीं तक सर्व शिक्षा अभियान के छात्रावास में रहकर स्कूल में पढ़ाई की इसी दौरान उसकी शादी भी कर दी गई किन्तु प्रिया ने समाज के इस निर्णय को न मानते हुए पढाई के लिए संघर्ष किया और कक्षा ९वीं से किराये का कमरा लेकर १२वीं तक स्कूल की पढाई की। कक्षा १०वीं बोर्ड में ७५ प्रतिशत और कक्षा १२वीं में विज्ञान विषय के साथ ७३ प्रतिशत अंकों के साथ सफलता अर्जित की। इस दौरान पढाई के साथ उसमें छिपी खेल की प्रतिभा भी सामने आई। कबड्डी में राज्य स्तर पर और १०० मीटर की दौड में नेशनल खेलने का भी उसे मौका मिला। १२वी की पढ़ाई वर्ष २०२३ में पूरी करने के बाद बीएसएसी नर्सिंग की पढ़ाई करना चाहती थी परंतु नर्सिंग के पेपर नहीं हुए तो उसने बी.फार्मा. की पढाई पूरी करने की राह चुनी।

लास्ट वाइल्डर्नेस फाउंडेशन से प्रिया पारदी को मिली मदद

बहेलिया समाज की बेटी प्रिया की दृढ़ इच्छा शक्ति को देखते हुए उसके भविष्य के बेहतर निर्माण के लिए स्वयं सेवी संस्था लास्ट वाइडर्नेस फाउंडेशन मदद के लिए आगे आया और भोपाल स्थित टीआईटी कालेज में दाखिला करवाने में मदद की गई। प्रिया ने बताया कि बी.फार्मा. जो कि चार वर्षीय डिग्री पाठयक्रम है। प्रत्येक वर्ष ८० हजार रूपए कालेज की फीस है जो फांउडेशन द्वारा जमा की जा रही है। प्रिया का कहना है कि मैं पढकर जब काबिल बनूंगी तो मेरे माता-पिता का मान बढेगा और मेरे समाज की बेटियां शिक्षा के महत्व को समझकर आगे बढऩे के लिए प्रेरित होगीं। लास्ट वाइल्डर्नेस फाउंडेशन के क्वाडिनेटर इंद्रभान बताते हैं कि पारदी समाज के सामने अनेक चुनौतियां है और इन चुनौतियों के बीच शिक्षा ही एक ऐसी किरण है जिससे समाज की नई पीढी बदलकर आत्म निर्भर हो सकती है। प्रिया इन सबके लिए एक प्रेरणादायक बेटी है।

Created On :   24 Feb 2025 12:39 PM IST

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