Panna News: नवरात्रि पर भक्त ने अन्न-जल का त्याग कर शरीर पर बोये जवारे

नवरात्रि पर भक्त ने अन्न-जल का त्याग कर शरीर पर बोये जवारे
  • नवरात्रि पर भक्त ने अन्न-जल का त्याग कर शरीर पर बोये जवारे
  • जिसे देखने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे

Panna News: नवरात्र पर आस्थाओं का ऐसा दौर चलता है कि जिसे देख हर कोई दंग रह जाता। पन्ना जिले के गुनौर में एक साधक ने अपने शरीर पर जवारे उगाकर साधना में लगा है जिसे देखने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। नवरात्र पर चारों ओर देवी की आराधना हो रही है। सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त के बाद तक शक्ति की भक्ति में वातावरण धर्ममय चल रहा है। शारदेय नवरात्रि पर्व पर पन्ना जिले में जगह-जगह मां जगदम्बा की प्रतिमा विराजित कर लोग बड़े ही धूमधाम से इस त्यौहार को मना रहे हैं। वहीं जिले में प्रसिद्ध पन्ना की बड़ी देवी एवं पवई की मां कलेही मंदिर में विराजीं माता के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है।

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इसके साथ ही जिले भर में जगह-जगह विराजी मां जगत जननी जगदंबा की प्रतिमा आस्था और श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है। बुंदेली परंपरा के अनुसार श्रद्धालु मंदिरों और अपने घरों में जवारों की स्थापना करते हैं। जवारे खुशहाली का प्रतीक होते हैं यदि जवारे बेहतर तरीके से उगते हैं तो माना जाता है कि आने वाली फसल अच्छी होगी। पन्ना जिले के गुनौर नगर परिषद अंतर्गत वार्ड क्रमांक 15 में स्थित मां जालपा देवी शक्तिपीठ मंदिर में आकाश पटेल पंडाजी ने आस्था की इसी कड़ी में नवरात्र के पहले दिन से अन्न-जल के साथ अपनी दैनिक दिनचर्या त्याग दी और शरीर पर जवारे बोए हैं। नौं दिन तक वह बैठेंगे भी नहीं। उन्होंने अपने पेट पर भी जवारे बोए हैं जिससे जमीन पर लेटे रहते हैं। इस साधक की साधना देखकर लोग उनके तप को नमन कर रहे हैं।

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ऋतु संधियों में व्रत जरूरी

नवरात्र में मान्यता रखने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि ऋतु संधियों में अक्सर बीमारियों को बढ़ावा मिल जाता है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तन और मन को निर्मल रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया ही नवरात्र है। इसमें सात्विक भोजन जरूरी है। इसके सेवन से शरीर, मन व वचन शुद्ध हो जाता है। गुनौर के ग्रामीण अंचलों में विराजित माता मंदिरो व जगह-जगह विराजित मां दुर्गा के दर्शन करने दूरदराज से श्रद्धालु हाजिरी लगा रहे हैं। ग्रामों में नवरात्र पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्र के अंतिम दिन जवारे दुर्गा विसर्जन के साथ नदी में प्रवाहित कर दिए जाएंगे।

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Created On :   7 Oct 2024 10:04 AM GMT

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