नागौद-कालिंजर मार्ग में बेलगाम भारी वाहनों की रफ्तार: ऐरा पशुओं के खून से लथपथ हो रही है हर दिन सड़क

ऐरा पशुओं के खून से लथपथ हो रही है हर दिन सड़क
  • ऐरा पशुओं के खून से लथपथ हो रही है हर दिन सडक़
  • नागौद-कालिंजर मार्ग में बेलगाम भारी वाहनों की रफ्तार

डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा नि.प्र.। नागौद-कालिंजर मार्ग में जहां आए दिन सडक़ हादसों में लोगो की मौतों की घटनायें सामने आ रही है इसके साथ ही ऐरा पशुओं के लिए हाइवे सडक़ मार्ग में दौड रहे तेज वाहन जान के दुश्मन साबित हो रहे ंहैं। पहाडीखेरा चौकी क्षेत्र सीमा स्थित नागौद-कालिंजर सडक मार्ग में हर दिन औसतन ३-४ ऐरा गौवंशीय पशु हादसे का शिकार हो रहे हैं और सडक़ का खूनी रूप सुबह खून से लथपथ मृत पडे पशुओं के रूप में देखा जा सकता है। ऐरा पशुओं की मौत ज्यादातर रात में होती है जब ऐरा विचरण करने वाले पशु सडक में अधिक संख्या में पहुंच जाते हैं और तेज रफ्तार वाहनों से र्दुघटना का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में बेलगाम वाहन खासकर ट्रकों के तेज दौडते पहियों के नीचे आकर ऐरा पशुओ की जिदंगी सिमट जाती है। ऐरा पशुओं की हर दिन जहां से मौत की एक वजह तेज रफ्तार दौडते भारी वाहन है वहीं ऐरा पशुओं की सुरक्षा के लिए जिन जिम्मेदारों को शासन-प्रशासन द्वारा जिम्मेदारी सौंपी गई यह उनकी उदासीनता और लापरवाही है।

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प्रशासन द्वारा ऐरा गौवंशीय पशुओं की सुरक्षा देखभाल के लिए गौ सदनों की स्थापना की गई है जिसमें ऐरा गौवंशीय पशुओं को रखने व देखभाल करने के लिए गौ-सदन संचालनकर्ताओं को अच्छी खासी राशि दी जाती है किन्तु क्षेत्राचंल में बनाये गए गौ-सदन दिखावे तक ही सीमित है। ऐरा पशुओं की रोकथाम की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतो को सौंपी गई है किन्तु ग्राम पंचायतें इस समस्या के समाधान को लेकर अपने आपको असहाय पा रही है और इसका परिणाम ऐरा गौ वंशीय पशु भूखे-प्यासे इधर-उधर भटकते हैं जो कि किसानो के लिए भी समस्या बने हुए है परेशान किसान को ऐरा पशुओ से फसल को बचाने के लिए जहां बडी परेशानी उठानी पड रही है वहीं ऐरा पशुओं से सडक़ो में आवगमन प्रभावित होता है साथ ही साथ दुर्घटनायें हो रही है। पूरी समस्या के समाधान के लिए शासन जिले के प्रशासन स्थानीय स्तर के जिम्मेदारो को गंभीरता के साथ जरूरी कदम उठाने होंगे तथा यह सुनिश्चित करना होगा कि जो पशु पालक अपने पशुओं को ऐरा छोड देते हैं उन पर कार्यवाही की गई साथ ही साथ ऐरा गौवंशीय पशुओं की सुरक्षा व रखवाली के लिए गौ-सदन की व्यवस्थायें मजबूत की जाये।

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जिला प्रशासन के निर्देश असरहीन

जिला कलेक्टर द्वारा समस्त नगरीय निकायों तथा ग्राम पंचायत के प्रमुख पदाधिकारियों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐरा गौवंशीय पशुओं की रोकथाम और सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठायें। सडक़ों में ऐरा पशुओं के पाए जाने की स्थिति में ग्राम पंचायतों के उत्तरदायी कर्मचारियों तथा नगरीय निकाय के उत्तरदायी अधिकारी-कर्मचारियों की जिम्मेदारी होगी किन्तु इस तरह से का आदेश जिले के कलेक्टर द्वारा जारी किया गया है वह आदेश कागजी आदेश तक ही सिमटा हुआ है। मैदानी स्तर पर ऐरा पशुओं के चलते उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निजात दिलाने के लिए किसी भी प्रकार के प्रबंध देखने को नहीं मिल रहे हैं और समस्या कम होने की वजह लगातार बढती जा रही है। प्रशासन और जिम्मेदारों की सक्रियता तभी देखने को मिलती है जब सूबे के सीएम दौरे पर होते हैं।

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अभी हाल में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पन्ना दौरा हुआ था तब प्रशासन ऐरा गौवंशीय पशुओं को लेकर इतना सर्तक हुआ था कि खजुराहो से पन्ना तक मार्ग में तथा अगल-बगल एक भी ऐरा गौवंशीय पशु मुख्यमंत्री को नजर न आ जाये इसके लिए पंचायत पदाधिकारियों की विशेष ड्यूटी लगाकर ऐरा गौवंशीय पशुओ को कहीं विद्यालयों की बाउन्ड्री के अंदर तो कहीं अन्य शासकीय भवनों की बाउण्ड्री के अंदर बंद करवाकर तब तक के लिए रखा था जब तक मुख्यमंत्री का आने और जाने के बीच तीन से चार घंटे तक समय रहा।

Created On :   10 Sept 2024 1:37 PM GMT

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