गन्ना का उचित मूल्य न मिलने से हताशा, युवाओं ने अभिनय में उकेरा किसानों का दर्द

Youths showed the problems of farmers through drama
गन्ना का उचित मूल्य न मिलने से हताशा, युवाओं ने अभिनय में उकेरा किसानों का दर्द
गन्ना का उचित मूल्य न मिलने से हताशा, युवाओं ने अभिनय में उकेरा किसानों का दर्द

डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । जिले में गन्ने के दामों में वृद्धि की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच परिश्रम संस्था द्वारा शानदार नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई जिसमें किसानों मुख्य रूप से गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को सशक्त अभिनय के माध्यम से रेखांकित किया गया।
संस्था के कलाकारों ने गन्ने के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर चल रही स्थिति को अपने अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसमें मूल्य निर्धारण के बाद एस पर अमल न होने पर प्रशासन की भूमिका पर कटाक्ष किया।
जिले में स्थित विभिन्न सुगर मिल मालिक मनमानी करते हुए प्रशासन द्वारा घोषित 300 रूपए प्रति क्विंटल के भाव के निर्णय को धता बताते हुए 270 रूपए का ही दाम दे रहे हैं। वहीं किसानों के हक के लिए आंदोलन भी जारी है। इन दोनों स्थितियों के बीच प्रशासन की खामोशी संदेहास्पद होती जा रही है। नतीजन किसान मन मारकर अपनी उपज इतने ही दाम पर बेचने मजबूर हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीते एक पखवाड़े में जिले की सुगर मिलों एवं खाण्डसारी में लगभग ढाई लाख क्विंटल गन्ना किसानों को इसी दाम पर बेचने मजबूर होना पड़ा है। इस स्थिति से 30 रूपए के अंतर की राशि मिलेगी या नहीं इस संबंध में कोई पुष्ट जानकारी देने तैयार नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी मौन साधे जबाब देने से बच रहे हैं, वहीं जनप्रतिनिधि भी इस मामले से नदारद है।
किसानों की पीड़ा बताई
नुक्कड़ नाटक में किसानों की पीड़ा बताई ई कि आर्थिक तंगी के चलते उन्हें किस तरह गन्ने से उम्मीद थी, लेकिन रेट के चक्कर में उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। किसान कर्ज में डूबे हैं, भविष्य की योजनाओं पर अमल नहीं कर पा रहे हैं। घर के गहने गिरवी पड़े हैं तथा सिर पर भारी कर्ज का बोझ है। इन समस्याओं की नाटक के माध्यम से सशक्त अभिव्यक्ति की गई।
रूक गई बेटी-बेटों की शादी
नुक्कड़ नाटक में किसानों की समस्याओं की भावुक प्रस्तुति दी गई है। अभिनय के माध्यम से बताया गया कि कृषि उत्पादन पर टिकी किसानों की उम्मीदें किस तरह ध्वस्त हो रही है। मौसम की मार से उत्पादन प्रभावित होने एवं बाजार में उपज के बाजिब दाम न मिलने से किसानों के बेटियों बेटों की शादी रूक गई है। इस समस्या से पीडि़त किसान और उसके परिवार के सदस्यों की मनोदशा को बताया गया है।
कैसे पढ़ाएं बच्चों को
आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान कैसी कैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, इसकी भी अभिनय के माध्यम से अभिव्यक्ति की गई। बच्चों की पढ़ाई छूटने उन्हें पढऩे भेजने में आर्थिक तंगी के कारण आ रही दिक्कतों का प्रस्तुतिकरण किया गया है।

 

Created On :   20 Nov 2017 1:22 PM IST

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