कभी जहां उगता है सफेद सोना अब वहां उग रहे कश्मीरी सेब

Where ever white gold grows, now Kashmiri apples are growing there
कभी जहां उगता है सफेद सोना अब वहां उग रहे कश्मीरी सेब
बदलाव कभी जहां उगता है सफेद सोना अब वहां उग रहे कश्मीरी सेब

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। कपास यानी सफेद सोना के उत्पादक जिले के रूप में मशहूर यवतमाल जिले के किसान अब कश्मीर के सेब उगाने लगे हैं। यहां उगाए गए सेब नागपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी तक पहुंचाए जा चुके हैं। इस कारण जल्द ही यवतमाल का नाम कश्मीर के सेब उत्पादक जिले के रूप में मशहूर होने की संभावना बढ़ गई है। पांढरकवड़ा (केलापुर) के ढोकी(वाई) और रालेगांव तहसील के वाढोणा बाजार में प्रायोगिक तौर पर यह सेब उगाए जा रहे हैं। केलापुर के जगदीपसिंग काले ने 25 पेड़ लगाए थे। इनमें से चार पेड़ में 40 सेब का उत्पादन हुआ। इसमें से चार सेब केंद्रीय गडकरी को पहुंचाए। रालेगांव तहसील के वाढोणा बाजार निवासी किसान संदीप हांडे ने सवा एकड़ खेत में 420 पेड़ लगाए। इसमें चार चार सेब हर पौधे को लगे थे। इन सेब को जो देखने आ रहे थे। वही खाकर चले जा रहे थे। अगले साल से ज्यादा सेब के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। 

रालेगांव के केलापुर और पांढरकवड़ा तहसील के करंजी में सेब की खेती की जा रही है। प्रायोगिक तत्व पर प्रगतिशील किसानों द्वारा शुरू किए गए इस उपक्रम की जानकारी अब पूरे जिले में फैल चुकी है। यही नहीं नागपुर जिले के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने इस उपक्रम की सराहना की है। जगदीप काले को जब यह बात पता चली तो वह  वे पेडो़ं पर लगे सेब लेकर गडकरी से मिलते नागपुर रवाना हुए । मगर उनकी गडकरी से भेंट नहीं हुई। उन्हें अगले हफ्ते मिलने के बारे में बुलाया गया है। केलापुर तहसील के अतिदुर्गम ग्राम ढोकी(वाई) में भी कश्मीर के सेब का उत्पादन शुरू हो गया है। इस गांव के प्रगतिशिल किसान जगदिपसिंग काले ने उनके खेत में कश्मीर से सेब की अनूठी किस्म 15 जनवरी 2020 को लगाई थी। यह पौधे हिमाचल से बुलाए गए थे। 

हिमाचल के पनियाला निवासी हरिमण शर्मा द्वारा 48 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सेब की खेती की प्रजाति ईजाद की। इसका पेटंट भी उन्होने लिया है। जिससे इसी प्रजाति के 25 पौधे 15 जनवरी 2020 को लगाए गए थे। 10 माह में ही उन्हें फूल आ गए थे। जिससे वह फूल काट दिए गए थे। ताकि पेड़ों पर फलों का बोझ न बढ़े।  पेड़ सशक्त हो जाए। अकोला में एकबार किसी काम से जगदीपसिंग गए थे तब शिवणी एयर पोर्ट के पास किसी किसान द्वारा 2 एकड़ खेत में सेब की खेती करने का दृश्य दिखाई दिया। उस खेत में उपस्थित व्यक्ति से इस बारे में पूछताछ की तो कुछ जानकारी मिली। जिसके बाद यू टयूब पर भी खोजबीन की। वहीं से पौधे हरिमण शर्मा से बुलाकर लगाए गए थे। अब फिर से 100 पौधे बुलाने का प्रयास किया जा रहा है। मगर महंगाई के वजह से इसका ट्रान्सपोटेशन खर्च काफी बढ़ चुका है। इसकी वजह से एक पौधे की कीमत 500 रुपए तक पहुंच चुकी है। इसबार पंढरपुर के शेलके नामक प्रगतिशील किसान से सलाह लेने पर उन्होंने इस वर्ष भी फुल काटने की सलाह दी थी। फिर भी उत्सुकतावश 4 पौधों पर यह 40 सेब की फसल ली गई। शेलके के यहा एक पौधे से 150 किलो ग्राम तक सेब निकल रहे हैं। 

रालेगांव में भी हो रही है खेती

रालेगांव तहसील के कुछ गांव में गत 3 वर्ष से सेब की खेती की जा रही है। मगर यहां के सेब हरेही रहते है। वह लाल नही होते है। जिससे कृषि विशेषज्ञों से इसका उपाय ढूंढा जा रहा है। इन सेबों का टेस्ट कश्मीरी टेस्ट के समान ही है। सिर्फ लाल के बजाय हरे सेब उत्पादित हो रहे है। 

सेब लाल नहीं होते

कश्मीर से बुलाई गई यह सेब की प्रजाति विदर्भ के खेतों में फलने फूलने लगी है, लेकिन पकने के बाद यह सेब लाल नहीं हो रहे हैं। वे हरे या हलके पीले हो जाते हैं। कुछ सेब पर थोड़ी सी लाल छटा दिखाई देती है। यहां के किसान इसी बात पर खोजबीन कर रहे हैं कि, सेब होने के लिए क्या तरकीब अपनाई जाए। उन्होंने कृषि विशेषज्ञों से भी इसकी राय मांगी है। भविष्य में यह हरे सेब लाल दिखाई देने वाले हैं।


 

Created On :   3 Aug 2022 7:41 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story