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लेटलतीफी की भेंट चढ़ी एकात्मिक पुस्तक योजना
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बस्ते के बोझ का विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल परिणाम हो रहा है। इसे लेकर शिक्षा क्षेत्र में अनेक वर्ष से बहस छिड़ी हुई है। इस समस्या का हल निकालने के लिए एकात्मिक पुस्तक योजना बनाई गई। चालू शैक्षणिक वर्ष में प्रयोगिक तौर पर उसे लागू किया जाना था, लेकिन प्रशासकीय लेटलतीफी के चलते अगले साल तक टल गई। इस वर्ष प्रायोगिक तौर पर एकात्मिक पुस्तक योजना पर अमल करने का नियोजन है। नागपुर शहर और जिले के रामटेक तथा पारशिवनी तहसील का इस योजना के लिए चयन किया गया है। पहले चरण में मराठी माध्यम की पहली से सातवीं कक्षा के लिए यह योजना बनाई गई है।
क्या है योजना
विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की सभी कॉपी-किताबें स्कूल ले जाने पर बस्ते का बोझ बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग ने एकात्मिक पुस्तक योजना बनाई। सभी विषय के पाठ्यक्रमों को दो हिस्सों में विभाजित कर एकत्रित विषय के दो स्वतंत्र एकात्मिक पुस्तक तैयार किए गए। आधे पाठ्यक्रम पर तैयार की गई एक ही पुस्तक विद्यार्थी को स्कूल ले जानी पड़ेगी। एक सत्र समाप्त हो जाने के बाद दूसरे सत्र की एकात्मिक पुस्तक दी जाएगी। विद्यार्थी उसी को लेकर स्कूल जा सकेंगे। ऐसा करने से विद्यार्थी के बस्ते का आधा वजन कम हो जाएगा।
संपूर्ण पाठ्यक्रम की पुस्तकें वापस करने पर दी जाएंगी
शिक्षा विभाग निजी अनुदानित स्कूल के विद्यार्थियों को पहली से आठवीं तक नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराता है। हमेशा की तरह संपूर्ण पाठ्यक्रम की पुस्तकों का विद्यार्थियों में वितरण किया गया। उसके बाद शिक्षा विभाग ने एकात्मिक पुस्तक उपलब्ध कराने का शिक्षा विभाग को पत्र भेजा। इस पत्र में पहले बांटी गई पुस्तकें वापस करने के बाद एकात्मिक पुस्तक देने की सूचना दी गई है। विद्यार्थियों को बांटी गई पुस्तकें वापस लिए बिना एकातमिक पुस्तक नहीं दी जाएगी, यह सबसे बड़ी दिक्कत है। शिक्षक भी विद्यार्थियों से पुस्तक वापस लेने के इच्छुक नहीं हैं। इस पेंच में विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम करने की योजना अगले साल तक टल गई है।
Created On :   10 Sept 2021 5:11 PM IST