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पीएम आवास योजना का लाभ देने अधिकारियों ने की हीलाहवाली तो मजदूर किसान ने पेड़ पर बनाया बसेरा
भास्कर खास - अिधकारियों-कर्मचारियों के चक्कर लगाकर थके करेली के किसान ने सरकारी व्यवस्था को आईना दिखाया
डिजिटल डेस्क करेली । प्रधानमंत्री आवास योजना भी अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमर्जी से चल रही है। किसे लाभ देना है किसे नहीं, यह वे ही तय करते हैं। यही कारण है कि योजना के तहत अपने कच्चे मकान को पक्का करने लंबे समय से अधिकारियों-कर्मचारियों के चक्कर लगाकर थक गए एक मजदूर किसान ने व्यवस्था को आइना दिखाने पेड़ पर ही अपना ठिकाना बना लिया।
यह मामला नरसिंहपुर करेली जनपद पंचायत के मोहद गांव का है। यहां रहने वाले एक एकड़ खेत के किसान मजदूर छोटे खां ने काफी धक्के खाने के बाद अफसरशाही के विरोध में गांधीगिरी की तर्ज पर खेत में लगे अर्जुन के पेड़ पर 25 फीट ऊपर अपनी झोपड़ी बना ली है। योजना का लाभ मिलने तक उन्होंने पेड़ पर ही रहने का संकल्प लिया है।
गांव में समृद्ध लोगों को मिला लाभ
छोटे खां पिता बाबू खां ने बताया कि उनका परिवार वर्षों से इस गांव में रह रहा है। अपने कच्चे मकान को पक्का करने योजना का लाभ पाने जिम्मेदारों से खूब विनती की, लेकिन हर बार अगली लिस्ट में नाम आने की बात कर उन्हें टरका दिया जाता था। मेरा कच्चा मकान छोटा है, अब बच्चों की शादी के बाद जगह कम पड़ रही। यदि यह व्यवस्थित पक्का बन जाए तो हम ढंग से रह सकते हैं। मुझे योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा जबकि गांव के कई समृद्ध लोगों के मकान पक्के बन गए हैं। छोटे खां की पत्नी जातून बी का कहना है कि पहले खेत की रखवाली के लिए शौक से पेड़ पर चढ़कर बैठते थे, अब तो इन्होंने वहीं ठिकाना बना लिया है। वहीं सोना, खाना-पीना आदि कर रहे हैं, निस्तार के लिए ऊपर से पाइप डाला है।
सरपंच बोले- पुराने रहवासियों को नहीं मिला लाभ
मोहद गांव के सरपंच बेनीप्रसाद पटैल का कहना है कि यहां 2011 की सूची के आधार पर लगभग 240 आवास स्वीकृत हुए हैं। जिनमें अधिकांश बन चुके हैं। योजना के तहत यहां के पुराने रहवासियों को इसका लाभ नहीं मिला है। इसके पीछे सूची में नाम नहीं होना बताया जा रहा है।
कुटिया में पलंग, धूप-पानी से बचने किया इंतजाम
लंबे समय तक योजना के लिए धक्के खाने के बाद हर बार अगली लिस्ट में नाम आने का आश्वासन लेकर लौटने पर छोटे खां ने पेड़ पर रहने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने सीढ़ी के सहारे 25 फीट ऊपर डालियों के बीच पन्नी के सहारे कुटिया बनाई, जिसमें पलंग रखा। धूप-बारिश से बचने पन्नी की छत भी तैयार की। वे यहां भोजन के साथ ही अन्य दैनिक कार्य भी करते हैं। छोटे खां का कहना है कि ऐसा कर वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, कभी तो जिम्मेदारों को उनकी सुध आएगी।
कच्चे मकान में रह रहे 13 सदस्य 8 एक एकड़ 16 डिसिमल कृषि भूमि के मालिक छोटे खां का खेत में ही खपरैल वाला कच्चा मकान है। जिसमें परिवार के 13 सदस्य रहते हैं। बारिश में कीचड़ और सीलन की परेशानी होती है। इसी मकान को पक्का बनवाने योजना के तहत मदद के लिए कई बार आवेदन करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
Created On :   6 Aug 2021 2:21 PM IST