बीमारियाें से निपटने तैयार हैं हम, 100 से अधिक टीम कर रहीं काम

We are ready to deal with diseases, more than 100 teams are working
बीमारियाें से निपटने तैयार हैं हम, 100 से अधिक टीम कर रहीं काम
नागपुर बीमारियाें से निपटने तैयार हैं हम, 100 से अधिक टीम कर रहीं काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बरसात के दिनों में संक्रामक बीमारियों का फैलाव होता है। शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है। इसलिए हर साल जिला स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए विविध उपाययोजना की जाती है। इस बार भी 1 जुलाई से यह अभियान शुरू किया गया है। शुरुआत में 0 से 5 के बच्चों पर लक्ष्य केंद्रित किया गया है। आशा वर्करों के माध्यम से घर-घर दस्तक देकर बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है। बच्चों को ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट) का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा डायरियाग्रस्त पाए जाने पर झिंक टैबलेटस का वितरण भी किया जा रहा है। एक महीने में 1 लाख से अधिक घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। 

जिले में 1 जुलाई से आशा वर्करों सहित स्वास्थ्यकर्मियों की 100 से अधिक टीमें घर-घर दस्तक दे रही। हर रोज 4000 से अधिक घरों तक जाकर वहां से बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है। महीनाभर में 1 लाख से अधिक घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। सूत्रों के अनुसार यह टीम घर-घर जाकर 0 से 5 साल के बच्चों को ओरआरएस का पावडर वितरण कर रही है। वहीं लोगों में डायरिया का लक्षण दिखाई देने पर उन्हें झिंक टैबलेटस वितरित किए जा रहे हैं। तहसील स्तर पर कार्य किया जा रहा है। टीम को नियोजन व नियंत्रण का प्रशिक्षण दिया गया है।

पीलिया व डायरिया का खतरा : इन दिनों पीलिया होने का खतरा भी बना रहता है। इसके लक्षणों में हल्का बुखार, सिरदर्द, थकान, भूख न लगना, उल्टियां होना, कमजोरी, त्वचा, आंखें, नाखून पीले होना। पेशाब पीली होना आदि समस्याएं होती हैं। बरसात में सर्वाधिक परेशानी डायरिया से होती है। इसमें बार-बार उल्टियां होती हैं। इससे शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। साथ ही सोडियम की कमी होने से डायरिया होता है। मच्छरों के कारण डेंगू का खतरा बना रहता है। डेंगू के लक्षणों में ठंड से साथ तेज बुखार आना, बदनदर्द, कमजोरी, भूख न लगना, चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज व नाक और मसूढ़ों से खून आना शामिल होता है। डॉक्टरों के अनुसार बरसात में फ्लू इन्फ्लूएंजा, लेप्टोस्पाइरोसिस, पिंकआई, कंजंक्टिवाइटिस, हेपेटाइटिस-ए की संभावना बनी रहती है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा बरसाती बीमारियों से बचाने के लिए तीन महीने तक व्यवस्था की गई है। 

जल सुरक्षकों को दिया गया प्रशिक्षण 
बरसात के दिनों में अशुद्ध पेय जल के कारण बीमारियां होती हैं। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की शुद्धता की जांच शुरू की गई है। ग्रामीण में जल सुरक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। इनकी संख्या भी 100 से अधिक है। जल सुरक्षक के माध्यम से पीने के पाइपलाइन की जांच की जा रही है। जहां-जहां दूषित पेय जल पाया जाएगा, वहां के मूल कारणों का पता लगाकर उनमें सुधार किया जानेवाला है। बरसात में मच्छरों के प्रकोप से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए जलजमाव के स्थानों पर विशेष नजर रखी जा रही है। लोगों को जागरूक कर कूलर का पानी निकालने की सलाह दी जा रही है। घर के आसपास परिसर पानी जमा न होने देने की सावधानी बरतने को कहा जा रहा है। 

तीन महीने की तैयारी की है

बरसात के दिनों में होने वाली संक्रामक बीमारियों से बच्चों से लेकर हर आयुवर्ग को सुरक्षित रखने अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान लोगों को बीमारियों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। बच्चों को ओआरएस के पावडर के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। डायरिया के लक्षण वालों को झिंक टैबलेटस दी जा रही है। अलग-अलग उपाययोजनाओं पर काम किया जा रहा है। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही कोविड टेस्ट करने को कहा जा रहा है। बीमारियों के अगले तीन महीने तक बरसाती बीमारियों से निपटने की पूरी तैयारी की गई है। 

- डॉ. दीपक सेलोकर, स्वास्थ्य अधिकारी, नागपुर
 

Created On :   3 July 2022 1:44 PM IST

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