वीडियो वायरल - जो बीज निशुल्क देना है, उसके लिए हो रही मनमाफिक वसूली

Video viral - Seed to be paid for free, getting the desired recovery
वीडियो वायरल - जो बीज निशुल्क देना है, उसके लिए हो रही मनमाफिक वसूली
वीडियो वायरल - जो बीज निशुल्क देना है, उसके लिए हो रही मनमाफिक वसूली

आत्मा परियोजना के सहायक तकनीकी प्रबंधक द्वारा रुपए लेने का किसान ने बनाया वीडियो
डिजिटल डेस्क  गौरिहार ।
प्रदेश सरकार भले ही किसानों के हित में कई बड़े फैसले लेते हुए राहत पहुंचाने का काम कर रही हो लेकिन निरंकुश अधिकारी, कर्मचारी किसानों का शोषण करने से बाज नही आ रहे हैं। ऐसा ही मामला गौरिहार जनपद क्षेत्र के ग्राम महाराजपुर का सामने आया है। यहां किसान को बीज लेने के लिए रिश्वत देनी पड़ी, तब कहीं जाकर वह अपने खेत मे बुवाई कर सका। महाराजपुर निवासी हीरा सिंह के पुत्र रामखगेश सिंह ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराते हुए गौरिहार में पदस्थ आत्मा परियोजना में सहायक तकनीकी प्रबंधक दीपेन्द्र वर्मा के द्वारा बीज देने में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। रामखगेश का आरोप है कि उसे 1500 रुपए कीमत के काबुली चने का बीज 1800 रुपए में दिया गया। जब उसने विरोध किया तो सहायक तकनीकी प्रबंधक ने यह कहते हुए चलता कर दिया कि इतने रुपये ही लगेंगे। राम खगेश ने चने के एवज में रुपए लेने का वीडियो बनाकर शिकायत की है।
कृषि विभाग की आत्मा परियोजना में बीजों का गोलमाल : किसान का आरोप है कि जनपद मुख्यालय के कृषि विभाग की आत्मा परियोजना में सहायक तकनीकी प्रबंधक दीपेंद्र वर्मा के द्वारा शासन से प्राप्त बीजों के वितरण में बड़े पैमाने में गड़बड़ी की गई है। इनके द्वारा किसानों को प्रदर्शन के लिए भेजे जा रहे निशुल्क बीजों  के एवज में राशि वसूली जा रही है, वहीं बीज भी उन्हें देते हंै, जो इन्हें रुपए देते हैं। गौरतलब है कि आत्मा परियोजना के तहत किसानों को प्रदर्शन के उद्देश्य से निशुल्क बीज देने का प्रावधान है, लेकिन कई स्थानों पर इसके एवज में रुपए लिए जाते हैं।  
आत्मा कर्मचारी बोला- उसने किसान के पैसे लौटा दिए, बिल के पैसे लिए 
व्मैने किसान के पैसे लौटा दिए हैं। यह वीडियो एक माह पुराना है। मैनें किसान से सरसों व चने के बीज एकसाथ लेने को कहा था। पर किसान सरसों का बीज नहीं ले रहा था, इसलिए पैसे जमा कराए। किसान डीएपी, इनसेक्टीसाइट्स बीज के साथ नहीं डालते हैं, इसलिए रुपए लेकर उन्हें सामग्री दी जाती है। इसके बिल लगाना होता है।      - दीपेंद्र वर्मा, सहायक तकनीकी प्रबंधक, गौरिहार
 

Created On :   24 Nov 2020 5:23 PM IST

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