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कोरोना काल में प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों की रिहाई पर फैसला सुरक्षित
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने कोरोना काल के दौरान प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। डिवीजन बैंच ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, डीजी जेल और कोर्ट मित्र का पक्ष सुना गया।
यह है मामला-
मध्यप्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक है। कोरोना की दूसरी लहर में पूरे प्रदेश में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। ऐसे में जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। सुनवाई के दौरान विचार किया गया कि किन-किन श्रेणियों के कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है, इसके साथ ही पैरोल की अवधि क्या होगी। जिससे जेलों में कैदियों की संख्या को कम किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं दिशा-निर्देश-
सुनवाई के दौरान बताया कि मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को रिहा करने के संबंध में हाई पावर कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है, हाई पावर कमेटी द्वारा यह तय किया जाएगा कि किस श्रेणी के कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव और कोर्ट मित्र अधिवक्ता संकल्प कोचर के तर्क सुनने के बाद डिवीजन बैंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
Created On :   10 May 2021 10:58 PM IST