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मकरसंक्रांति पर चायनीज मांजे का इस्तेमाल
डिजिटल डेस्क, अकोला। मकरसंक्रांति के पर्व पर अकोला शहर में पतंगाबाजी जोरों पर रही। अलग-अलग परिसरों में मकानों की छत पर लाऊड स्पीकर लगाकर गानों की धुन के साथ पतंगबाजी की धूम मची रही, किंतु हर किसी के हाथ में चायनीज मांजा की रील रही। जिस चायनीज मांजा की बिक्री रोकने के लिए प्रशासन ने सप्ताहभर से कारवाइयां शुरू की थी, लेकिन इन कार्रवाइयों का कोई फायदा होता नहीं दिखा। चायनीज मांजा पक्षियों के साथ ही छोटे बच्चों व बड़ों को घायल करता रहा। कई पतंगबाजी के शौकिनों ने माहभर पहले ही मांजा खरीद लिया था, तो कइयों ने चोरी-छिपे बिक्री करनेवालों से खरीदा। पतंगबाज भी चायनीज मांजा की घातकता को अनदेखा करते नजर आए, जिससे शुक्रवार को दुपहिया वाहनधारकों को इस मांजे का खौफ सताता रहा।
बारिश के बावजूद पतंगबाजी का उत्साह
सुबह से ही बासमान में घने बादल छाए रहे, लेकिन अच्छी हवा चलती रही। इस कारण पतंगबाजों में खासा उत्साह रहा। सुबह के समय ही हल्की बारिश हुई, जिससे कुछ एक-डेढ़ घंटे तक पतंगाबाजों को आराम करना पड़ा, लेकिन बारिश रूकते ही आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज गया। पेच लड़ाने तथा पतंग काटने के बाद होनेवाले जल्लोष की आवाज दिनभर गूंजती रही।
नायलॉन मांजे की बिक्री रही जोरों पर
प्रशासन ने नायलॉन मांजे की बिक्री रोकने के लिए कार्रवाइयां की, लेकिन कार्रवाइयों में देरी हुई। मुख्य थोक बिक्रेता पर कार्रवाई नहीं हो पाई। छोटे-छोटे दुकानों पर कार्रवाई हुई, जिससे चोरी-छिपे मांजे की बिक्री होती रही। इस कारण मकरसंक्रांति के दिन प्रशासन के प्रयासों पर पानी फिरता दिखाई दिया।
Created On :   16 Jan 2022 3:43 PM IST