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सूक्ष्मद्रव्य फसलों के लिए संजीवनी
डिजिटल डेस्क, अकोला। भारत प्रमुख रूप से कृषि प्रधान देश है,लेकिन कुछ कारणों के चलते देश की उपजाऊ जमीन से उत्पादन में कटौती होती जा रही है। यदि खेती से अधिक मात्रा में उत्पादन लेना हो तो सूक्ष्म अन्नद्रव्य युक्त खाद का इस्तेमाल करने से फसलों को संजीवनी मिलती है, वहीं किसानों को अधिक पैमाने पर उत्पादन बढता है। ऐसी जानकारी पीकेवी के कृषि विशेषज्ञों ने दी। डा पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डा संदीप हडोले, डा संजय भोयर, प्रशांत सरप, डा अक्षय इंगोले के अनुसार विश्व में भारत सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में अग्रसेर हो रहा है। भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन कुछ वर्षो से अलग अलग कारणों के चलते जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होती जा रही है। किसानों को चाहिए कि खेती में सूक्ष्म अन्नद्रव्ययुक्त खाद का फसलों पर इस्तेमाल किया जाए ताकि फसलों की उत्पादन क्षमता में बढोतरी हो तथा उन्हें लाभ मिले। फसलों को सूक्ष्म प्रमाण में लगने वाले अत्यंत मूल्यद्रव्य आठ है। जिसमें जस्त, लोह, बोरॉन, मैगनीज, मॉलिब्डेनम, क्लोरीन व निकले का समावेश है। इसके अलावा सोडियम, सिलिकॉन, कोबाल्ट, व व्हॅनाडियम पर्यायी हितकारी सूक्ष्म द्रव्य के रूप में उपयोग होता है। फसलों को सूक्ष्म अन्नद्रव्य यदि कमी प्रमाण में लगता हो तो फसवलों के जीवनक्रम को पूरा करने के लिए आवश्यक है। विदर्भ की जमीन में 49 प्रतिशत जस्त, 18 प्रतिशत लोह, 20 प्रतिशत बोरॉन इस सूक्ष्म अन्नद्रव्य की कमतरता तथा 26 प्रतिशत गंधक इस दुय्यम अन्नद्रव्य की कमतरता दिखाई देती हे। संम्पूर्ण महाराष्ट्र की जमीन में 36 प्रतिशत जस्त, 17 प्रतिशत लोह, 2.26 प्रतिशत मॅजनीज, 0.19 प्रतिशत तांबे व 36 प्रतिशत प्रतिशत बोरॉन सूक्ष्म अन्नद्रव्य तथा 27 प्रतिशत गंधक इस दुय्यम अन्नद्रव्य की कमतरता दिखाई देती है।
Created On :   12 Jun 2022 3:30 PM IST