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महाराष्ट्र में तुअर उत्पादक किसानों को नहीं मिल रहा उचित मुआवजा
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डिजिटल डेस्क, बीड। पंजाब - हरियाणा का नए कृषि कानून रद्द करने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि उनकी फसल का उचित मुआवजा मिलेगा, इसकी क्या गारंटी है। इसी तरह महाराष्ट्र का किसान अब अपनी तकलीफों को खुलकर सामने रख रहे है। जब खेतों में खून पसीना बहाने वाले किसान को उसकी मेहनत का फल नहीं मिलेगा, तो उसकी नाराजगी भी खुल कर सामने आती है। ठीक इसी तरह किसानों का आरोप है कि उन्हें तुअर दाल की सरकारी गारंटी से कम कीमत मिल रही है। व्यापारी भी निर्धारित रकम में दो हजार कीमत कम कर तुअर खरीद रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि बाजार में बेची गई दाल गीली है।
किसानों को झटका
इस साल मॉनसून की शुरुआत में अच्छी बारिश होने के कारण जिले में तुअर को 61,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया था। इसलिए किसान इस साल अच्छे दाम की उम्मीद लगाए बैठे थे। सरकार ने तुअर के लिए 6,000 रुपए की गारंटी की घोषणा की है। हालांकि असल तस्वीर कुछ और ही है। बाजार में मुट्ठी भर व्यापारियों का एकाधिकार किसानों को उचित मूल्य नहीं दे रहा है। पिछले हफ्ते से बाजार में तुअर की आमद शुरू हुई थी। इससे पहले कि किसानों ने तुअर की कटाई शुरू की, कीमत 7,000 रुपए से 9,000 रुपए प्रति क्विंटल थी। हालांकि जैसे ही बाजार में आयात शुरू हुआ, उसकी कीमत कम हो गई। फिल्हाल तुअर की कीमत पांच से साढ़े पांच हजार प्रति क्विंटल ही मिल रही है।
निराश किसान
तुअर बाजार में आने से पहले सरकारी खरीद केंद्र शुरू होने की उम्मीद थी। हर साल की तरह इस साल भी जिला प्रशासन सरकारी खरीद केंद्रों को लेकर किसान निराश हैं।
Created On :   29 Dec 2020 6:56 PM IST