पत्थरों पर चलकर आदिवासी तय कर रहे मजबूरी भरा सफर

Tribals are making a compulsive journey by walking on stones
पत्थरों पर चलकर आदिवासी तय कर रहे मजबूरी भरा सफर
पत्थरों पर चलकर आदिवासी तय कर रहे मजबूरी भरा सफर


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/तामिया। आदिवासी विकासखंड तामिया के चार गांव आज भी सड़क सुविधा से कोसों दूर हैं। सड़क तो दूर यहां पैदल चलने लायक भी मार्ग नहीं है। यहां निवास करने वाले डेढ़ हजार आदिवासी पत्थर और कीचड़ में चलने को मजबूर हैं। चार गांवों से जुड़ी 10 किमी की यह सड़क तीन विभागों के बीच झूल रही है। सात साल पहले आरईएस ने इस मार्ग को कच्ची सड़क में बदल दिया था, इसके बाद सड़क भगवान भरोसे हो गई।
तामिया विकासखंड के डोगरा से हर्राकछार तक लगभग 10 किलोमीटर कच्चा रोड है। इस मार्ग से चार गांव जुड़े हैं जिसमें शहराढाना, बातरा, हर्राकछार और खमारपुर शामिल हैं। इन सभी गांवों में आदिवासी परिवार निवास करते हैं। वर्तमान में ऐसे हालात हैं कि कोई भी बाइक सवार आधा किमी भी सही तरीके से वाहन नहीं चला सकता है। कहीं सड़क बह गई तो कहीं बड़े-बडे गड्ढे हो गए।  यहां निवासरत चार गांव जिसमें शहराढाना, बातरा, हर्राकछार और खमारपुर शामिल हैं। शासन ने इन गांवों को विशेष दर्जा दे रखा है, लेकिन जमीनी हकीकत में विकास यहां से कोसों दूर हैं। यहां के लोगों ने कई बार सड़क बनाने की मांग रखी जो आज तक पूरी नहीं हो सकी है। इस बारिश में हालात और बदतर हो गए हैं, यहां गाडिय़ां तो क्या अब पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
तीन विभागों के बीच अटकी सड़क
वर्तमान में यह रोड किसके अधिकार क्षेत्र में है, कौन इसे बनाएगा इसकी जानकारी अधिकांश जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को भी नहीं है। 7 साल पहले मुख्यमंत्री सड़क योजना से यहां आरईएस द्वारा ग्रेवल (कच्ची रोड) का निर्माण किया गया था। इसके बाद यह रोड प्रधानमंत्री सड़क को हैंडओवर करने की बात कही जा रही है। मजेदार बात ये है कि प्रधानमंत्री सड़क के अधिकारियों के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह ने मुख्यमंत्री को यह सड़क बनाने पत्र लिखा था। जनवरी में सीएम मॉनिट से पीडब्ल्यूडी को कार्यवाही के लिए कहा गया। पीडब्ल्यूडी ने लगभग 9 करोड़ रुपए का प्रपोजल भी भेजा, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।
इनका कहना है-
यह रोड पीएमजीएसवाय को हैंडओवर कर दी गई है, 6 साल पहले ग्रेवल हुआ था, विभाग ने ग्रेवल के बाद सड़क उन्हें दे दी।
-एलसी मरावी, एसडीओ आरईएस
ग्रामीणों की मांग पर सीएम मॉनिट में सर्वे कराकर प्रपोजल भेज दिया गया था। स्वीकृति के बाद ही सड़क की स्थिति बन पाएगी।
-शुभम मौर्य, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी
आरईएस ने जानकारी दी थी लेकिन सड़क हैंडओवर नहीं हुई है। हमने भी शासन को प्रपोजल भेजा है, स्वीकृति नहीं मिली है।
रामेश्वर पहाड़े, एएम पीएमजीएसवाय

Created On :   9 Sept 2020 11:32 PM IST

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