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नागपुर के शहरी वन परिक्षेत्र में भी अब बाघों की होगी गणना,रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में काम शुरू
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में पहली बार बाघों की गणना शहरी वन परिक्षेत्र में भी होने जा रही है। नागपुर प्रादेशिक वन विभाग में इस गणना को किया जाएगा। इसके लिए ट्रेनिंग से लेकर सारी प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। फरवरी की आखिरी से गणना की जाने वाली है। बोर में 9 जनवरी को संबंधित ट्रेनिंग भी कराई गई है। बाघ व तेंदुए की संख्या बढ़ रही है। शहरी वन परिक्षेत्र में भी इनकी उपस्थिति देखी गई है। 4 साल में एक बार होनेवाली गणना कारगर साबित नहीं होते देख वन्यजीवों की सही स्थिति को जानने के लिए ऐसा किया जा रहा है। राज्य स्तर पर रिजर्व फॉरेस्ट इलाकों में बाघों की गणना की शुरुआत हो गई है।
पेंच व्याघ्र प्रकल्प से काम शुरू
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से पूरे देश में राज्य स्तर पर प्रति 4 साल में एक बार बाघों की गणना की जाती है। वर्ष 2006 के बाद वर्ष 2019 में आंकड़े सामने आए हैं, जिसमें महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 3 सौ से ज्यादा पार गई है। जानकार भी मानते हैं कि तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है। चूंकि एक बाघ 4 साल तक एक ही क्षेत्र में नहीं रहता है, ऐसे में बाघ गणना के वक्त गिनती में खामियां रह सकती हैं। लिहाजा, राज्य स्तर पर पहली बार इस तरह से बाघों की गणना की जानेवाली है। पेंच व्याघ्र प्रकल्प से काम शुरू हुआ है।
5 माह तक चल सकती है प्रक्रिया
दो से पांच माह चलनेवाली इस गणना प्रक्रिया में मेलघाट, ताड़ोबा अंधारी, बोर, नागझिरा, नवेगांव, सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प अादि वन क्षेत्र में बाघों की संख्या देखी जाने वाली है। इसके अलावा वन विभाग नागपुर प्रादेशिक वन परिक्षेत्र में भी बाघ व तेंदुए की गणना करने वाला है। तीन चरणों में हिंगना, कोंढाली, कलमेश्वर, देवलापार, पवनी, रामटेक में कैमरा ट्रैप लगाकर बाघ व तेंदुए की उपस्थिति दर्ज की जाएगी।
Created On :   15 Jan 2020 1:48 PM IST