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तीन बर्खास्त-चार निलंबित, टीएचओ को थमाया कारण बताओ नोटिस
डिजिटल डेस्क, यवतमाल. जिले के उमरखेड़ तहसील के विडूल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दरवाजे पर एक महिला की प्रसूति के बाद बच्चे की हुई मौत मामले में लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिरी है। इस मामले में तीन स्वास्थ्य अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है तथा 4 काे निलंबित करने के साथ टीएचओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 21 अगस्त से यह आदेश लागू हो चुके हैं। जांच में पाया गया कि घटना के समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं था। गौरतलब है कि 19 अगस्त की शाम 5 बजे विडूल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूति के लिए आई महिला की अस्पताल के दरवाजे पर ही प्रसूति हो गई। घटना के समय इस अस्पताल में कोई चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित नहीं था। इस बीच नवजात शिशु की मौत गई। घटना के बाद पीड़िता शुभांगी और उसके पति सुदर्शन हापते ने घटना के लिए यहां के चिकित्सकों को जिम्मेदार ठहराया था। यह मामला विडूल से होते उमरखेड़ और बाद में यवतमाल जिला स्तर पर पहुंचा। जिससे 20 अगस्त को जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले की जांच आरंभ की। 21 अगस्त की देर रात इस मामले में जांच में वहां के स्वास्थ्य कर्मी दोषी पाए गए। इससे डीएचओ
प्रह्लाद चव्हाण ने इस मामले में 3 स्वास्थ्य अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। जबकि 4 स्वास्थ्य कर्मियों को निलंबित किया गया है। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में उमरखेड़ तहसील स्वास्थ्य अधिकारी (टीएचओ) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अगर कारण तर्कसंगत नहीं लगता है तो इनका भी निलंबन तय है। जिन लोगों को इस घटना के लिए दोषी मानकर कार्यमुक्त किया गया है, उनमें ठेका स्वास्थ्य अधिकारी डा.विष्णुकांत शिवणकर, डा.ज्योति अनकाडे तथा ठेका स्वास्थ्य सेविका स्वाति चंद्रशेखर ढोकपांडे शामिल हैं। निलंबित चार कर्मियों के नाम दवाई निर्माण अधिकारी एन.एम.भोकरे, स्वास्थ्य सहायिका(एलएचवी)अलका डंभारे, स्वास्थ्य सहायक पी.डी.मस्के और प्रेमसिंग चव्हाण बताए जाते हैं। उसी प्रकार टीएचओ डा.धम्मपाल मुनेश्वर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस घटना के बाद विडूलवासियों में रोष व्याप्त था। दोषियों पर कार्रवाई न होने पर रास्ते पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी दी गई थी।
इस शर्मसार करनेवाली घटना के दिन 19 अगस्त को सभी स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी अनुपस्थित थे। वहां पर कोई भी उपस्थित नहीं था। इससे अस्पताल से निकलते समय यह प्रसूति की घटना घटी थी। अगर यह लोग होते तो शुभांगी का बच्चा जिंदा होता। यह आरोप भी पीड़िता और उसके पति ने लगा है। यह लोग उमरखेड़ तहसील के टाकली निवासी हंै। यह सभी इमरजेंसी सेवा में कार्यरत होने के बावजूद दोपहर की ओपीडी होने के बाद अपने अपने गांव चले जाते हैं। इसलिए मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता है। इस स्वास्थ्य केंद्र से लगभग 15 गांव संलग्न हैं। पहली बार घटी इस घटना से स्वास्थ्य कर्मियों की घोर लापरवाही सामने आयी है।
Created On :   23 Aug 2022 7:54 PM IST