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प्रदेश के 3 जिलों में स्क्रब टाइफस का खतरा, सतना भी शामिल
डिजिटल डेस्क, सतना। प्रदेश में सतना जिले के साथ जबलपुर और मंदसौर में स्क्रब टाइफस और बु्रसेलोसिस का खतरा बरकरार है। वर्ष 2021-22 में अधिक केस सामने आने के बाद संचालनालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अपर संचालक आईडीएसपी ने इन तीन जिलों में एम्स भोपाल की सहायता से रिसर्च प्रोजेक्ट चलाने का निर्णय लिया है। इस संंबंध में एम्स की एक टीम 11 से 13 अप्रैल के बीच संबंधित जिलों में भ्रमण भी कर चुकी है। टीम ने जिले के मेडिसिन विशेषज्ञ और मेडिकल ऑफीसरों को बीमारी से संबंध में ट्रेनिंग भी दी। इस प्रोजेक्ट के अब जिला अस्पताल, सीएचसी अमरपाटन और कोठी में हर दिन स्क्रब टाइफस और बु्रसेलोसिस बीमारी की आशंका के मद्देनजर संदिग्धों के सेंपल लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट के लिए एम्स भोपाल भेजे जाएंगे। अन्य सीएचसी में भी संदिग्ध सामने आने पर जांच कराई जाएगी।
कहीं चाइना का वैरिएंट तो नहीं फैल रहा...
विभागीय सूत्रों की मानें तो देश के मिजोरम और अरुणांचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस का जो वैरिएंट मिल रहा है वही वैरिएंट चाइना में पाया जा रहा है। इन राज्यों में यह बीमारी मार्च से जून के महीनों में तेजी से फैलती है। बताया गया है कि जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि यहां के मरीजों में जो वैरिएंट फैल रहा है, कहीं चाइना में पाया जाने वाला वैरिएंट तो नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो इन जिलों में स्क्रब टाइफस और बु्रसेलोसिस से बचाव के लिए टीकाकरण कराया जाएगा।
नागौद में हो चुकी है बालिका की मौत
जिले में वर्ष 2021-22 में स्क्रब टाइफस के 17 मामले सामने आए थे। जबकि जिले भर से 52संदिग्धों की आईसीएमआर लैब में जांच कराई गई थी। इनमें से नागौद ब्लॉक के पनगरा गांव में 15 वर्षीय एक बालिका की स्क्रब टाइफस की वजह से मौत भी हो गई थी। वर्ष 2020-21 में भी जिले में इस बीमारी के 14 केस मिले थे।
चूहों से पहुंचती है इंसानों तक
विशेषज्ञों की माने तो स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है। दरअसल, चूहों में पाए जाने वाले पिस्सुओं से यह बीमारी इंसानों तक पहुंचती है। संक्रमित पिस्सू स्वस्थ आदमी को काटता है और स्क्रब टाइफस फैलाता है। इसलिए जरूरी है कि घरों में चूहों को पलने पर रोक लगाएं। स्क्रब टाइफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार होता है, जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग व कूल्हों में गिल्टियां होना इसके लक्षण होते हैं। कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर डॉक्टर को दिखाएं।
इनका कहना है।
जिले में स्क्रब टाइफस की रोकथाम के लिए दो वर्षों से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, पिछले वर्ष 17 के सामने आने के बाद 52 संदिग्धों की जांच कराई गई थी। इस वर्ष भी संदिग्धों पर नजर है।
Created On :   19 April 2022 5:11 PM IST