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वेट एंड वॉच मोड पर कायम कांग्रेस, थोरात ने कहा- शिवसेना को सता रहा विधायकों के टूटने का डर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस अभी भी अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं है। पार्टी फिलहाल ‘देखों और इंतजार करो’ की नीति पर कायम है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोरात ने कहा कि अब शिवसेना को डर लग रहा है कि उसके विधायकों को तोड़ न लिया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव बाद एक बार फिर खरीद फरोख्त की राजनीति पर उतर आई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने दावा किया है कि विधायकों को खेमा बदलने के लिए प्रलोभन दिए गए हैं। प्रदेश कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने एक ट्वीट कर कहा-शिवसेना, भाजपा की गठबंधन सहयोगी और महायुति का हिस्सा है। अगर उसे डर लगता है कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदेगी तो हम बहुत अच्छी तरह समझ सकते हैं कि भाजपा नैतिक रूप से कितनी भ्रष्ट है और क्यों हमें महाराष्ट्र को उनसे बचाना चाहिए।’’सावंत ने कहा कि ‘क्या महायुति के पास अब सरकार बनाने का नैतिक अधिकार है?’
गुरुवार को भी कांग्रेस नेताओं ने बैठक की। दरअसल मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी शिवसेना विपक्षी दलों कांग्रेस-राकांपा के दम पर ही भाजपा के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति में है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थोरात ने कहा कि भाजपा-शिवसेना को बहुमत मिला है तो उन्हें सरकार बनानी चाहिए। शिवसेना को समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम यह चर्चा मीडिया से ही सुन रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के अधिकांश विधायक भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के पक्ष में हैं। लेकिन दोनों दलों की विचारधारा आड़े आ रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल शिवसेना की तरफ से समर्थन के लिए कोई प्रस्ताव भी हमारे पास नहीं है। शिवसेना पहले भाजपा का साथ छोड़ने की हिम्मत तो दिखाए।
भाजपा का नाम लिए बगैर प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटील ने यह भी दावा किया कि कुछ विधायकों को लालच दिया गया है। पाटील ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘कुछ विधायकों को अब लालच दिया गया है लेकिन अगर कोई भाजपा के खेमे में जाता है तो अन्य दल एकजुट होंगे और उन्हें उपचुनाव में हराएंगे।’’ पाटील ने यह भी कहा कि शिवसेना ने सरकार बनाने में समर्थन के लिए राकांपा से बात नहीं की थी। उन्होंने कहा कि न ही हमने शिवसेना को समर्थन देने पर राकांपा में कोई चर्चा है। पाटील ने कहा कि अगर भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने और अन्य मंत्री पदों के समान बंटवारे की शिवसेना की मांग मान लेती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का कोई सवाल ही नहीं होगा।
Created On :   7 Nov 2019 8:15 PM IST