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बाल वैज्ञानिकों की सोच, जुगाड़ से बनाए विज्ञान मॉडल
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । विज्ञान और इसके सिद्धांतों को समझकर बाल वैज्ञानिकों ने बड़े-बड़े विज्ञान मॉडल बना लिए हैं। भले ही यह विद्यार्थी स्कूल में पढ़ रहे हंै लेकिन इनकी सोच भविष्य के वैज्ञानिकों के इर्द-गिर्द है। इन विद्यार्थियों ने सेनेटाइजर मशीन, पंखे से बिजली बनाने और भाप से चलने वाले वैक्यूम जैसे कई मॉडल बनाए हैं। विज्ञान प्रदर्शनी, इंस्पायर अवार्ड और अनेकों प्रतियोगिताओं में इन बाल वैज्ञानिकों ने अपने मॉडल रखे हैं। इनमें से एक मॉडल जापान के लिए चयन हुआ है।
क्लाइडोस्कोप प्रोजेक्टर
उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षा ग्यारहवीं जीव विज्ञान समूह के विद्यार्थी संकल्प सोनी ने क्लाइडोस्कोप यानी बहुरूपदर्शक एक ऑपिटकल उपकरण तैयार किया है। इसके जरिए दो या दो से अधिक परावर्तक सतहें यानी दर्पण एक दूसरे से कोण पर झुका होता है। ऐसे में जब किसी वस्तु को दर्पणों के बीच रखा जाता है तो उससे एक नियमित पैटर्न बनता है जो प्रोजेक्टर पर उसकी पैटर्न को स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करता है। संकल्प जीव विज्ञान समूह के विद्यार्थी हैं जो चिकित्सा क्षेत्र में जाना चाहते हैं।
पंखे से तैयार की बिजली
कक्षा नवमीं के छात्र कृष्णा गौतम ने बताया कि ऊर्जा के पुनचक्रण हेतु पंखे से बिजली बनाने का मॉडल तैयार किया गया है। यहां पर पंखे की रोटेटिंग ऊर्जा का उपयोग कर बिजली उत्पन्न करने का प्रोजेक्ट बनाया था। इसके अलावा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक तथा चार आर का स्वच्छता मॉडल भी कृष्णा ने बनाया था। इसके अतिरिक्त नगरनिगम के अंतर्गत आयोजित प्रदर्शनी में भी इसका प्रदर्शन हुआ था।
सौर मंडल ऐसा करता है काम
कक्षा दसवीं के छात्र प्रेम डेहरिया ने स्टैंड सेनेटाइजर बनाया था। इस मशीन को भाप से चलाया गया था। कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे उस दौरान शिक्षिका भावना शर्मा के मार्गदर्शन में इस मॉडल को तैयार किया गया था। प्रेम डेहरिया ने बताया कि विज्ञान मॉडल प्रर्दशनी सौर मंडल का प्रादर्श बनाया था। प्रेम का कहना है कि वह भविष्य में सांइटिस्ट या फिर डॉक्टर बनना चाहते हैं।
फुली ऑटोमेटिक टायलेट क्लीनिंग मशीन
सुलोचना ककोडिय़ा ने फुली ऑटोमेटिक टायलेट क्लीनिंग मशीन बनाई है। तकरीबन चार हजार रुपए की लागत से बने इस मॉडल की विशेषता है कि भारत स्वच्छता अभियान के अंतर्गत प्रेरित होकर बनाया गया है। इस मॉडल में कूलर मेें लगने वाली मोटर, बैटरी, पाइप लगा हुआ है। जहां मोटर के चलते ही टूल्स की सहायता से टायलेट क्लीनिंग होती है इसमें ब्रश लगाने से दीवार और फर्श की सफाई भी की जा सकती है।
जापान तक हो चुका बच्चों का चयन
राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड 2018-19 में बिछुआ के कन्या आश्रम सामरबोह में पढऩे वाली कक्षा आठवीं की छात्रा सुलोचना ककोडिय़ा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अव्वल आई थी। यहां चयनित होने के बाद अब सुलोचना जापान में होने वाली प्रतियोगिता में शामिल होने का अवसर मिला था।
शिक्षा विभाग की ओर से यह होता है
* शिक्षा विभाग स्कूलों में विज्ञान प्रदर्शनी जिला और ब्लाक स्तर पर लगाता है।
* इसके अलावा इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी आयोजित होती है जिसमें चयनित प्रतिभागी को राष्ट्रीय सहित अंतराष्ट्रीय स्तर पर जाने का मौका मिलता है।
इनका कहना है...
प्रकृति में जो भी चीजें है विज्ञान से जुड़ी हुई है। विद्यार्थी जो प्रादर्श बनाते हैं उसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है जो भविष्य में विज्ञान से जुड़ी फील्ड में जाने सहायक होती है।
-प्रभात सोनी, शिक्षक भौतिक शास्त्र
Created On :   11 Oct 2021 4:16 PM IST