प्रभू की लीला के साथ व्यक्तिगत जीवन में भी प्रेरणादायी हैं ये कलाकार

These artists are inspirational in personal life along with Lords Leela
प्रभू की लीला के साथ व्यक्तिगत जीवन में भी प्रेरणादायी हैं ये कलाकार
बहराधाम उमरिया में 122 सालों से रामलीला मंचन की परंपरा  प्रभू की लीला के साथ व्यक्तिगत जीवन में भी प्रेरणादायी हैं ये कलाकार

डिजिटल डेस्क,उमरिया। डिजिटल व इंटरनेट युग में रामलीला का नाट्य मंचन अब धीरे-धीरे गांव से लेकर शहर में विलुप्त होता जा रहा है। धार्मिक आयोजनों में पहले जैसे दर्शक अब नहीं जुटते। प्रोत्साहन व सही मंच न मिलने से कलाकार भी अपनी पूर्वजों की धरोहर को जीवित रखने जूझ रहे हैं। ऐसे विषम परिस्थितियों में भी उमरिया के बहराधाम रघुराज मानस कला मंदिर में पिछले 127 साल से रामलीला मंचन की परंपरा अनवरत चली आ रही है। खासकर यह है कि अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में सुविधा के लिए जूझते कलाकार मंच में आते ही अपनी प्रतिभा से लोगों को मंत्रमुग्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। ये कलाकार भगवान की लीला का मंचन कर नागरिकों को धर्म का मार्ग दिखाते हैं। पर्दे के पीछे इनके स्वयं का जीवन भी किसी प्रेरणा से कम नहीं।

खेती किसानी की, आदर्श हैं श्रीराम

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का किरदार गेशवान द्विवेदी निभाते हैं। मूल रूप से उनका व्यवसाय गांव में खेती किसानी है। इसके अलावा दो गाड़ियां चलाकर गेशवान अपना परिवार चलाते हैं। उनके आराध्या भी श्रीराम ही हैं।उन्होंने बताया भले ही डिजिटल क्रांति ने रामलीला का आकर्षक कम किया। फिर भी नाट्य रूप में सजीव चित्रण आज भी लोगों को प्रभू की लीलाओं का समूल दर्शन कराता है। इंटरनेट व आधुनिकता के चक्कर में लोग अश्लील व अधूरे ज्ञान से ग्रसित हैं। इसलिए रामलीला में लोगों का विश्वास आज भी है। सीता का अभिनय सुरेश द्विवेदी करते हैं। वे भी पेशे से किसान हैं। 

लकवाग्रस्त होने के बाद भी धाराप्रवाह संवाद करते हैं रामनारायण

रामलीला मंडली में सबसे बुजुर्ग कलाकार रामनारायण पाण्डेय हैं। वे रावण का अभिनय पिछले 10 सालों से करते आ रहे हैं। बचपन में संस्कृत पाठशाला में अध्यापन के दौरान रामलीला मंडली से जुड़े थे। तब से प्रारंभ यह कारवां सतना, भोपाल, बनारस, आयोध्या होते दिल्ली व मुंबई तथा पंजाब जैसे महानगर तक पहुंचा। वे पेशे से कॉलरी सुरक्षाकर्मी की नौकरी कर परिवार चलाते हैं। रामनारायण को कुछ साल पहले लकवाग्रस्त हो गए थे। तब से बातचीत में उनकी जुबान  लड़खड़ा जाती है लेकिन जब बात रामलीला की हो तो मंच में उतरते ही वे धाराप्रवाह रावण संवाद करते हैं। इसके अलावा रामायण वाचन में भी महारत हासिल है। 

परदेश छोड़ कर बन रह संकटमोचन हनुमान

रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने वाले राम प्रसाद उपाध्याय दूसरे प्रदेश में मजदूरी कर अपना परिवार पालते हैं। वे 8-10 वर्षों से रामलीला में हनुमान का मंचन करते हैं। राम प्रसाद बताते हैं मनुष्य के जीवन को जीने की असली शैली हमें मर्यादा पुरूषोत्तम राम जी सिखाते हैं। यही कारण है कि वे शारदीय नवरात्र में मौका मिलने पर रामलीला से खुद को दूर नहीं रख पाते। हालांकि असल जीवन में अब चुनौतियां बहुत विकराल हो चुकी हैं। फिर भी नौ दिनों तक नवरात्र के धार्मिक क्रियाकलापों का पालन करते हैं। परदेश से घर लौटकर रामलीला में भाग ले रहे हैं।

गंगा की तरह शुद्ध है रामलीला सार

आदर्श रामलीला मण्डली खजरीताल सतना के संचालक तारेश पाण्डेय स्वयं लक्ष्मण व मेघनाथ का अभिनय करते हैं। निजी जीवन में वे खेती किसानी करते हैं। रामलीला वे अपने दिवंगत पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन करने कर रहे हैं। उनका मानना है रामलीला  टीवी, मोबाइल से इतर नाट्य शैली कहीं अधिक शुद्ध है। हालांकि अब नई पीढ़ी को शुद्ध हिन्दी की समस्या है। यही कारण है कि लोग अपने बच्चों को पारंपरिक धार्मिक विद्या से दूर करते जा रहे हैं। इसका असर मानव समाज में नैतिकता व धर्म का हृास के रूप स्पष्ट देखा जा सकता है।

इनका कहना है -

हमारा प्रयास है ऐसे कलाकारों को एक मंच दें ताकि वे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर आगे बढ़ सकें। रामलीला हर किसी के व्यक्तिगत व्यक्तित्व को निखारती है। कलाकारों को प्रोत्साहन स्वारूप आय का साधन भी मिलता है। इसलिए बहरा में रामलीला को इसी स्तर में रखा गया है। राम-सीता विवाह, बारात व पांव पखरी जैसी वैवाहिक परंपराएं स्थानीय लोगों के सहयोग से विधि विधान अनुरूप संपन्न होती हैं।
अजय सिंह, अध्यक्ष रघुराज मानसकला बहराधाम उमरिया।
 

Created On :   29 Sept 2022 7:33 PM IST

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