- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- डॉक्टर की रिपोर्ट में पुरानी बीमारी...
डॉक्टर की रिपोर्ट में पुरानी बीमारी नहीं है फिर भी मौत के बाद क्लेम नहीं दे रही बीमा कंपनी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। पॉलिसी लेने के महीनों बाद बीमारी का शिकार होने पर बीमित को क्लेम देने से बीमा कंपनियाँ बचती नजर आ रही हैं। यहाँ तक की पॉलिसी धारकों की मौत होने के बाद भी इंश्योरेंस कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीज रहा। ये आरोप पॉलिसी धारकों द्वारा लगाए जा रहे हैं। बीमित के परिजनों का कहना है कि बीमा कंपनियाँ बेवजह हमें परेशान कर मानसिक तकलीफ दे रही हैं। स्थिति यह है कि अस्पताल में भर्ती होने पर बीमा कंपनियाँ कैशलेस नहीं कर रही हैं और बिल लगाने पर अनेक प्रकार से कटौती कर रही हैं या फिर क्लेम को ही रिजेक्ट कर रही हैं। टोल फ्री नंबर के साथ ही बीमा कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों से जो वार्तालाप की जाती है उसमें अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं, जिसके कारण पॉलिसी धारक उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं हो रहे हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ (मोनो लगाएँ टेलीफोन का)-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
किडनी की पुरानी बीमारी है इसलिए क्लेम नहीं दे सकते-
रानीताल पत्रकार कॉलोनी निवासी मीरा पटैल ने बताया कि बजाज आलियांज से उन्होंने पॉलिसी ली थी। पॉलिसी लोन अकाउंट की एवज में ली गई थी। पॉलिसी लेने के बाद पति राजकुमार पटैल को किडनी की शिकायत हो गई। उनका किडनी अस्पताल में इलाज चला और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद बीमा कंपनी में क्लेम किया गया था। वर्ष 2019 से लगातार वे बीमा कंपनी से संपर्क करती आ रही हैं पर बीमा कंपनी ने अचानक पत्र जारी कर कह दिया कि पति को पुरानी बीमारी थी इसलिए क्लेम नहीं दिया जा सकता है, जबकि चिकित्सक ने साफ लिखकर दिया है कि पुरानी बीमारी नहीं थी। उसके बाद भी बीमा कंपनी क्लेम देने से इनकार कर रही है।
केस.2
पुरानी पॉलिसी पेश करो तब हम करेंगे भुगतान-
मढ़ाताल निवासी पूनम जैन ने बताया कि उन्होंने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से मेडिक्लेम लिया हुआ था। पति राजकुमार जैन की तबियत खराब होने पर अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। वहाँ बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। इलाज के दौरान पति की मौत हो गई। पति की मौत के बाद इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम किया तो बीमा कंपनी चार साल पुरानी पॉलिसी की डिमांड करने लगी। इसके अलावा बीमा कंपनी अस्पताल की फाइल माँगने लगी। ये दोनों ही दस्तावेज श्रीमती जैन के पास नहीं थे तो बीमा कंपनी ने क्लेम ही रिजेक्ट कर दिया। पीडि़ता का कहना है कि ये सारे दस्तावेज बीमा कंपनी के पास पहले से मौजूद थे पर बीमा कंपनी द्वारा हमें परेशान किया गया।
बीमा कंपनी के जिम्मेदारों की चुप्पी-
पॉलिसी धारकों को मौत के बाद क्लेम नहीं दिए जाने के संबंध में जब भी बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क किया जाता है तो वे मीडिया को किसी भी तरह का जवाब देने से इनकार कर रहे हैं। बीमा कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि हमारी पीआर एजेंसी की जिम्मेदारी है मीडिया से बात करने की।
Created On :   20 Jun 2021 10:57 PM IST