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भय तो है लेकिन सरकार पर भरोसा है कि बहुत जल्द बच्चे सुरक्षित घर लौट आएंगे
डिजिटल डेस्क,शहडोल । रूस द्वारा यूके्रन में किए गए हमले से वहां बने विषम हालातों के कारण फंसे देश के हजारों लोगों के साथ जिले के बुढ़ार निवासी दो चचेरे भाई भी शामिल हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गए बुढ़ार निवासी महेंद्र त्रिपाठी के पुत्र ऋषिकेश त्रिपाठी एवं उनके छोटे भाई डॉ. राजेश त्रिपाठी के पुत्र ईशांक त्रिपाठी के परिवार में भय तो है, लेकिन भारत सरकार पर भरोसा भी है कि उनके बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा और वे बहुत जल्द अपने घर लौट आएंगे।
घर परिवार तथा जिलेवासी भी दोनों के सुरक्षित लौट आने की आशा कर रहे हैं। माता-पिता व परिवार के लोगों की लगातार उनसे बात हो रही है। जो उन्हें ढाढ़स बंधा रहे हैं। साथ ही जिला प्रशासन और सांसद तथा अन्य जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे हैं। शहडोल प्रवास पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी परिजनों को भरोसा दिलाया है कि बच्चों को कुछ नहीं होने दिया जाएगा, जल्द ही दोनों को यहां लाया जाएगा।
वीडियो भेज दिखाया किस हाल में हैं
दोनों का यूके्रन के विनितस्या शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई का यह तीसरा वर्ष है। दोनों छात्रों ने आज सुबह एक वीडियो भी जारी किया है, जिन्होंने वहां की विकट स्थितियों को बताते हुए सुरक्षित निकालने की गुहार भारत सरकार से लगाई है। वीडियो में दोनों भाईयों के अलावा कई अन्य भारतीय लोग भी बंकर में हैं। ऋषिकेश ने बताया कि जैसे ही पता चला कि कीव पर अटैक हुआ है, खाने-पीने का सामान खरीद लिया था। अभी हालात गंभीर हैं। सभी लोग दहशत में हैं। अटैक के बाद से डर बढ़ गया है। भारत सरकार से अपील है कि हम लोगों को जल्दी निकाला जाए। साइबर अटैक भी हो सकता है। इसके डर से करेंसी एक्सचेंज करके लाया। सरकार से मदद नहीं मिलने से यूक्रेन में फंसे हुए हम स्टूडेंट्स यूनिटी बनाए हुए हैं। हमारी हेल्प कोई नहीं कर रहा। सभी स्टूडेंट एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।
पानी तक का स्टॉक करना पड़ रहा
फंसे हुए छात्रों ने वीडियो में बताया कि हम बड़े रिस्क जोन में हैं। स्थानीय लोग शहर छोड़कर गांव भाग रहे हैं। हम ट्रैवल भी नहीं कर पा रहे। सभी वाहन बंद हैं। कैब बुक नहीं हो रही। कार्ड से पेमेंट नहीं हो रहा। पीने के लिए पानी तक का स्टॉक करना पड़ रहा है। सरकार मदद करती, तो हम लोग 15-20 दिन पहले अपने घर में होते। विश्व युद्ध की सिचुएशन थी, तो हमें पहले निकालना था। हमारी एंबेसी इसे पॉलिटिकल स्टंट मानती रही। मीडिया कब से न्यूज में दिखा रहा कि युद्ध के हालात हैं, लेकिन हमारी एंबेसी पॉलिटिकल स्टंट मानती रही। अब जब अटैक हो गया, सब फंस गए। तब रेस्क्यू की बात की जा रही है। आज जब मौत की स्थिति आ गई तब निकालने की बात की जा रही है।
सांसद भी सरकार से कर रही चर्चा
ऋषिकेश व ईशांक के बड़े पिता डॉ. मदन त्रिपाठी जो जिला शिक्षा केंद्र के समन्वयक हैं, उन्होंने बताया कि उनका परिवार यूके्रन में फंसे दोनों बेटों से लगातार संपर्क में हैं। जिन्होंने बताया कि उनके साथ अन्य कई भारतीय लोगों को बंकर में रखा गया है। दोनों को सुरक्षित निकालने का कार्य भारत सरकार को करना है, जिसके द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। सांसद हिमाद्री सिंह से भी उनकी बात हुई है, जिन्होंने बताया कि उन्होंने विदेश मंत्रालय से बात की है। डॉ. त्रिपाठी का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि सरकार दोनों बच्चों को वहां से सुरक्षित निकाल लेगी।
Created On :   26 Feb 2022 6:46 PM IST