युवक ने नहीं मानी हार - 30 डिसमिल के तालाब से मछली पालन कर कमाए 16 लाख रू.

The young man did not accept defeat - earned Rs 16 lakh by rearing fish from a 30-acre pond.
युवक ने नहीं मानी हार - 30 डिसमिल के तालाब से मछली पालन कर कमाए 16 लाख रू.
युवक ने नहीं मानी हार - 30 डिसमिल के तालाब से मछली पालन कर कमाए 16 लाख रू.

डिजिटल डेस्क बालाघाट। जज्बा, जुनून और हौसलें के साथ लक्ष्य को निर्धारित कर कदम बढ़ाया जाए तो पहाड़ को खोदकर पानी निकालना मुमकिन नही हैं। सरकारी नौकरी की आस में 35 साल पूरे होने के बाद जब आस धुंधली हुई तो प्रायवेट नौकरी की ओर रूख किया, लेकिन वहां पर भरपूर मेहनत के बाद भी मन नही भरा तो खुद का कारोबार शुरू किया तो युवक की तकदीर सवर उठी। हम बात कर रहें हैं जिले के लालबर्रा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पांडेवाड़ा निवासी 40 वर्षीय युवक वेदराम राहंगडाले की जिन्होने अपने हौसलों से ऐसी उड़ान भरी की अब वह अपने खेत की 30 डिसमिल भूमि में मत्स्य पालन कर गांव के लोगों को रोजगार देकर युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए हैं।   
मनरेगा अंतर्गत बनाए गए तालाब से बदल गई तकदीर    
वेदराम ने गांव में मनरेगा योजना के अंतर्गत अपने खेत में छोटा सा मीनाक्षी तालाब बनाया। वह पिछले कुछ वर्षों से मत्स्य पालन का कार्य कर रहा है। लेकिन इस वर्ष उसने मतस्य उत्पादन में नया रिकार्ड बना दिया हंै। वेदराम ने अपने मीनाक्षी तालाब में फंगेशियस प्रजाति की मछली का उत्पादन कर मात्र 8 माह के समय में ही 16 लाख रुपये की आय अर्जित की है। वेदराम कहता है  मीनाक्षी तालाब से इस वर्ष 15 टन मछली का उत्पादन हुआ है और उसे 10 लाख रुपये की शुद्ध बचत हुई हैं।
तीन भाईयों में मात्र 5 एकड़ जमीन 
 वेदराम के परिवार के पास अधिक खेती-बाड़ी नहीं हैंं। माता-पिता के साथ ही तीन भाईयों के संयुक्त परिवार में मात्र 5 एकड़ जमीन हैं। 12 वी पास करने के बाद उसने इलेक्ट्रानिक में डिप्लोमा किया हंै। सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर वह प्रायवेट नौकरी की ओर गया था, लेकिन उसमें कुछ भविष्य न देखकर वह वापस अपने गांव आ गया था। 
7 साल पहले शुरू किया काम 
वर्ष 2013 में उसने मनरेगा की मीनाक्षी योजना से 30 डिसमील जमीन में तालाब बनाया और उसमें ट्यूबवेल भी लगाया। प्रारंभ में उसे मत्स्य पालन के कार्य में कुछ असफलता भी मिली और नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन वेदराम मत्स्य पालन के क्षेत्र में काफी अनुभवी हो गया हैं।
मेजर कार्प मछली का भी कर रहा पालन 
तालाब में फंगेशियस मछली के साथ-साथ मेजर कार्प मछली का पालन भी कर रहा हैं। वित्तीय वर्ष में 2019-20 में वेदराम रहांगडाले द्वारा 0.2 हेक्टेयर क्षेत्र के तालाब में 15 टन अर्थात 150 क्विंटल मछली का उत्पादन कर 16 लाख की आय अर्जित की गई हैं। लगभग 8 माह की अवधि में 16 लाख रुपये की आय अर्जित करना एक मिसाल हैं। वह कहता है अपनी लागत निकालने के बाद 10 लाख रुपये की शुद्ध बचत हुई है, जो जिले के लिए रिकार्ड है और बड़ी उपलब्धि हैं।
दोस्तों का मिला सहयोग
उन्होने कहा मछली पालन के क्षेत्र में उन्हें दोस्तों सहयोग मिला। जब वे आंध्रप्रदेश में काम करते थे तो वहां पर उनके साथी मछली पालन का काम करते थे,फंगेशियस मछली मूलत: वियतनाम में मेकांग नदी के डेल्टा में पायी जाती है। भारत में फंगेशियस मछली सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के रास्ते थाईलैंड से 1995-96 में लायी गयी थी। आज यह मछली मीठे पानी में पाली जानेवाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रजाति की मछली है। वियतनाम फंगेसियस मछली के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान रखता है। इस प्रजाति की मछली कम समय में तेजी से बड़ी होती है और इसका वजन 6 माह में एक से ड़ेढ किलोग्राम तक हो जाता है। अन्य मछलियों की तुलना में इसमें कांटें कम होते हैं और इसमें रोगनिरोधक क्षमता अधिक होती है। 
छिंदवाड़ा-सिवनी भेजी मछली 
लालबर्रा विकासखंड के ग्राम पांडेवाड़ा की मछली की सप्लाई बालाघाट जिला ही नही अपितु पड़ौसी जिला सिवनी एवं छिदवाड़ा तक हो रही हैं। उन्होने कहा निकट भविष्य मे दो एकड़ क्षेत्र में मत्स्य पालन की योजना है। जिसको लेकर कार्ययोजना भी तैयार की जा रही हैं।
प्रेरणास्रोत बना युवक का जज्बा  
इधर दूसरी तरफ उप संचालक मत्स्योद्योग शशिप्रभा धुर्वे का कहना रहा कि वेदराम रहांगडाले द्वारा मीनाक्षी तालाब से कम समय में अधिक लाभ कमाने के मामले में जिले के अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा ोत बन गये हंै। उन्होंने बताया बालाघाट जिले में हजारो की संख्या में मनरेगा योजना से मीनाक्षी तालाबों का निर्माण किया गया हंै, जिन लोगों के खेत में मीनाक्षी तालाब बने हैं वे मत्स्य पालन कार्य के लिए वेदराम रहांगडाले से सम्पर्क कर तकनीकि मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं। इस तरह से जिले में हजारो किसान उनसे जुडकर लाखों की आय अर्जित कर रहे हंै। जिले में मनरेगा योजना से निर्मित मीनाक्षी तालाबों में मत्स्य पालन वरदान साबित हो रहा है।

Created On :   29 Jun 2020 3:37 PM IST

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