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एपीएमसी में किसानों के मतदान का अधिकार खत्म, खाद्य सुरक्षा आयुक्त के फैसले पर 30 दिनों में कर सकेंगे अपील
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में कृषि उत्पन्न बाजार समितियों (एपीएमसी) के चुनाव में किसानों को वोट करने का अधिकार खत्म हो गया है। सोमवार को विधान परिषद में किसानों को मतदान करने का अधिकार रद्द करने संबंधी कृषि उत्पन्न विपणन अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित हो गया। इससे कृषि उत्पन्न बाजार समितियों के चुनाव में अब विविध कार्यकारी सेवा संस्था तथा बहुउद्देश्यीय सहकारी संस्थाओं की प्रबंधन समितियों में से चुने गए 11 सदस्यों और ग्राम पंचायत सदस्यों में से आने वाले 4 सदस्यों को वोट देने का अधिकार होगा। राज्य के विपणन मंत्री बालासाहब पाटील ने कहा कि किसानों को मतदान का अधिकार देने के कारण कृषि उत्पन्न बाजार समितियों के चुनाव के लिए खर्च काफी बढ़ गया था। इससे राज्य की 34 कृषि उत्पन्न बाजार समितियों की अवधि खत्म होने के बावजूद वहां पर चुनाव नहीं हो पा रहा है। कृषि उत्पन्न बाजार समितियों ने खर्च के कारण चुनाव कराने से मना कर दिया था। इस कारण सरकार ने अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया। इससे पहले 26 फरवरी को सरकार ने विधान सभा में इस विधेयक को मंजूर कराया था।
नागपुर बाजार समिति पर होगी बैठक
विधान परिषद में विपणन विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा सदस्य गिरीश व्यास ने नागपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति की अनियमितता का मुद्दा उठाया। व्यास ने कहा कि नागपुर बाजार समिति में प्रशासक नियुक्त किया गया है लेकिन वह पुरानी प्रबंध समिति की बात सुनते हैं। इस पर उपसभापति नीलम गोर्हे ने विपणन मंत्री बालासाहब पाटील को बैठक बुलाने का निर्देश दिया
खाद्य सुरक्षा आयुक्त के फैसले के खिलाफ 30 दिनों के भीतर कर सकेंगे अपील
विधान सभा में सोमवार को खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन विधेयक पास हो गया। अधिनियम में बदलाव के बाद खाद्य सुरक्षा आयुक्त के आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर अपील की जा सकेगी। खाद्य व औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिगणे ने विधानसभा में विधेयक पेश किया। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने सवाल किया कि सरकार के फैसले के खिलाफ दोबारा अपील की इजाजत देने की जरूरत ही क्या है। लेकिन मंत्री शिंगणे ने कहा कि प्रावधानों के बारे में गलत धारणा नहीं बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 केवल खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, विक्री और आयात को विनियमित करता है। कानून जारी किए गए लाइसेंस के तहत खाद्य पदार्थों के मानकों, गलत तरीके से बनाने, मिलावट और घटिया भोजन, खराब गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, बिक्री और वितरण पर पाबंदी लगाने और प्रावधानों के उल्लंघन के लिए सजा का प्रावधान करता है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को गुणवत्ता में सुधार के लिए नोटिस भेजकर इसके लिए पर्याप्त समय दिया जाता है और विफलता पर लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जाता है। लेकिन अब तक कानून में आयुक्त के आदेश के खिलाफ अपील का प्रावधान नहीं था। नए संशोधन के बाद पीड़ित व्यक्ति के पास लाइसेंस रद्द या निलंबित करने के फैसले के खिलाफ फिर से अपील का विकल्प होगा।
Created On :   2 March 2020 10:13 PM IST