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आवास का परियोजना अधिकारी बताकर करता था ठगी
डिजिटल डेस्क कटनी बायोमैट्रिक थम्ब मशीन से तीन ग्रामीणों से 90 हजार रुपए की धोखाखड़ी करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जालसाज नए शिकार की तलाश में मैहर की तरफ जा रही रहा था कि बार्डर में बड़ेरा गांव के समीप पुलिस ने घेराबंदी करते हुए धर-दबोचा। मुखबिर से सूचना मिलने पर पुलिस ने सतना जिला अंतर्गत रामनगर निवासी ज्ञानीश सोनी जबलपुर में अपना दफ्तर खोलकर आसपास के जिलों में वारदात को अंजाम देता था। कार्यवाही से बचने के लिए आरोपी युवक तथाकथित पत्रकार के साथ एक संगठन के पदाधिकारी का चोला भी ओढ़ रखा था। आरोपी के कब्जे से नब्बे हजार नकद, आल्टो कार, बायोमैट्रिक थम्ब इंप्रेशन मशीन, पास बुक केसाथ अन्य सामग्री जब्त की है। रविवार को प्रेस वार्ता में पुलिस अधीक्षक सुनील जैन ने इसकी जानकारी दी। जिसमें सीएसपी शशिकांत शुक्ला और कुठला थाना प्रभारी रोहित डोंगरे के साथ कार्यवाही में शामिल पुलिस बल भी मौजूद रहा।
पांच जिलों को बनाया ठिकाना
आरोपी जबलपुर को मुख्यालय बनाकर पांच जिलों में एक्टिव रहा। जबलपुर के साथ रीवा, सतना, मण्डला और कटनी को आरोपी ने चुना था। रीवा, सतना और जबलपुर में आरोपी पहले ही लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बना चुका था। जमानत के बाद फिर से बाहर आकर जालसाजी का काम करता था। दो माह के अंतराल में आरोपी उमरियापान, स्लीमनाबाद और कुठला थाना में तीन किसानों को पीएम आवास योजना की राशि का लालच देकर उनसे बायोमैट्रिक थम्ब इंप्रेशन मशीन से रुपए की धोखाधड़ी कर चुका था।
परियोजना अधिकारी का झांसा
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अधिकारी का झांसा देकर ग्रामीणों को यह निशाना बनता था। कार में पहुंचने के बाद अकेले ही सीधे ग्रामीण के पास पहुंच जाता था। गुलवारा निवासी पीडि़त हरिमोहन गौतम उस समय खेत में रहे। आरोपी अपने आप को अधिकारी बताया। बातचीत के दौरान किसान को झांसे में लिया और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार से रुपए दिलाने का लालच देकर वह अपने पास में रखे थम्ब इंप्रेशन मशीन में अंगूठा लगवाया हुआ था।
फर्जी लेटर पैड का उपयोग
सायबर क्राईम एवं एंटेलीजेनश जैसे संगठन के तथाकथित लेटर पैड का उपयोग आरोपी करता था। आरोपी के पास से एक न्यूज पोर्टल की नियुक्ति पत्र, माइक और आईडी को पुलिस ने जब्त किया है। इसके साथ आरोपी के पास दो रजिस्टर भीमिले हैं। जिसमें उसने कई लोगों के नाम और उनके आधार नंबर लिख रखे हैं।
दूसरे के खाते से ट्रांजेक्शन
एक सब्जी वाले का खाता आरोपी युवक ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग करता था। पूछताछ में सब्जी वाले ने बताया कि वह लोन के लिए आरोपी युवक को अपने दस्तावेज दिए थे। आरोपी उसी दस्तावेज के आधार पर सब्जी वाले के नाम का खाता खोल रखा था। जालसाज के समय यह पूरा पैसा सब्जी वाले के खाते में जमा करता था। इसके बाद ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का उपयोग करते हुए वह इस राशि को अलग-अलग खाते मे पहुंचा देता था। हालांकि इंड आफ ट्रांजेक्शन के संबंधमें बैंक ने अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। आरोपी युवक आधार इनेबिल पेमेंट सिस्टम का सहारा लेकर ठगी करता था।
Created On :   17 Jan 2022 2:06 PM IST