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ओशो ध्यान शिविर में सन्यासियों ने लगाए आनंद के सागर में गोते
डिजिटल डेस्क. नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय के एक होटल परिसर में आयोजित 3 दिवसीय ओशो ध्यान शिविर के दूसरे दिन भी साधक, ओशो के विचारों और ध्यान विधियों में मुग्ध रहे। छत्तीसगढ़ के चांपा स्थित मधुवन आश्रम से शिविर का संचालन करने आये, स्वामी आनंद एकांत ने जहां 150 से अधिक सन्यासियों का मार्गदर्शन किया। वहीं शिविर स्थल पर आयोजित एक पत्रकारवार्ता को संबोधित कर पत्रकारों की जिज्ञासायें भी शांत कीं। उनके माध्यम से मीडियाकर्मी भी ओशो ध्यान विधियों से गुजरकर, पहली बार आनंद के चरम तक पहुंचे और सभी सिख से नख तक प्रफुल्लित हो उठे। आज 14 अगस्त को शिविर में ध्यान के साथ-साथ दीक्षा कार्यक्रम भी आयोजित होगा।
ओशो नामक गंगा से 21 देशों में फैला परम आनंद
पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्वामी आनंद एकांत ने कहा कि आपकी इसी मिट्टी की खुशबू से विश्व के करोड़ों लोग आनंदित हैं। यदि आप इस आनंद में मग्न नहीं हो पा रहे हैं तो आप खुद के साथ अन्याय कर रहे हैं। स्वामी आनंद एकांत ने कहा कि नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के गांव कुचवाड़ा से निकली आचार्य रजनीश ओशो नामक गंगा पहले जबलपुर से मुंबई, पूना फिर अमेरिका से प्रवाहित होकर विश्व के 21 देशों में पहुंची तो हर ओर परम आनंद फैल गया। असंख्य लोग ओशो के विचारों और ध्यान विधियों के कायल होकर सत्य को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि विडंबना है कि जिस जिले में ओशो जन्मे वहां 47 वर्ष उपरांत उनके नाम का शिविर लगा है। हमें मिलकर प्रयास करना है कि इस पवित्र धरा पर भगवान ओशो की सुगंध घर-घर तक पहुंचे।
ओशो को सेक्सगुरू कहने वाले बुद्धिहीन
स्वामी आनंद एकांत ने कहा कि धर्म और ध्यान में कोई भेद नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग ओशो को सैक्स गुरू की संज्ञा देते हैं वे बुद्धिहीन हैं, यदि वे ओशो को पढ़ लेते या जान लेते तो कहीं से ये सवाल ही नहीं उठता। ओशो तो वह गुरू है जिसका धर्म सिर्फ प्रेम है, उन्होंने तो लोगों को सेक्स से मुक्ति दिलाई है न कि इस ओर धकेला है। ओशो तो यह चाहते थे कि आपका घर ही मंदिर हो जाये। वे ऐसा मनुष्य देखना चाहते थे जो बाहर से जितना समृद्ध है, उतना ही भीतर से समृद्ध हो।
मोदी के भाषण भी ओशो के विचारों से उत्प्रेरित
स्वामी आनंद एकांत ने कहा कि भगवान रजनीश तो वह सख्स हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म के साथ वेदों और उपनिषदों की पताका अमेरिकाऔर अन्य फॉरेन कंट्री में निर्भयता के साथ फैलायी। उनके विचारों को विश्व की बड़ी से बड़ी हस्तियों ने आत्मसाद किया, यहां तक की वर्तमान PM नरेंद्र मोदी के भाषण भी ओशो के विचारों से उत्प्रेरित होते हैं। राजनेता तक ओशो को पढ़कर अपनी वाणी परिस्कृत करते हैं। हिंदी साहित्य की 352 किताबें लिखने वाले ओशो के विषय में, महान साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर भी यह कहने से नहीं चूंके कि ओशो ने जिस तरह हिंदी और अंग्रेजी बोली, वैसा विश्व में कोई भी गुरू नहीं बोल सकता।
Created On :   14 Aug 2017 8:16 PM IST