जबलपुर की श्वासनलिका को नष्ट करने में जुटे भू-माफिया

The land mafia engaged in destroying the trachea of Jabalpur
जबलपुर की श्वासनलिका को नष्ट करने में जुटे भू-माफिया
पहाड़ों, चट्टानों की जगह पर भी बन रहीं इमारतें जबलपुर की श्वासनलिका को नष्ट करने में जुटे भू-माफिया

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मदन महल की पहाडिय़ों पर बसी बस्तियों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटा तो दिया गया लेकिन दूसरी ओर की पहाडिय़ों पर इमारतें बनने का कार्य जारी रहा और अब भी जारी है। जानकार बताते हैं, ये पहाडिय़ाँ भी चट्टान पहाड़ मद में शामिल थीं। कब ये निजी नामों में आकर बिक गईं और इन जमीनों पर इमारतों ने आकार ले लिया, यह किसी को पता नहीं है। जानकार बताते हैं मेडिकल के दाएँ ओर की पहाड़ी बहुत बेरहमी के साथ डायनामाइट लगाकर समतल की गई है और अभी भी इन पर इमारतें बनने का सिलसिला जारी है। निर्माणों का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो शहर की श्वासनलिका कही जाने वाली पहाडिय़ाँ नष्ट हो जाएँगी।  
पुराना रिकॉर्ड खोल सकता है इतिहास
राजस्व विभाग के रिकॉर्ड पर गौर किया जाए तो वर्षों पहले मदन महल की पहाड़ी शासकीय मद में चढ़ी हुई है। ये जगह शासन के रिकॉर्ड में पहाड़ व चट्टान के नाम पर चढ़ी हुई है। कई अधिकारी इसकी पोल खोल चुके हैं और मामला जिला कलेक्टर की न्यायालय तक पहुँच चुका है, पर उसके बाद आगे की कार्रवाई क्या हुई, यह पूरी तरह गोपनीय बना हुआ है। जाँच व परीक्षण का हवाला देकर सब चुप्पी साधे हुए हैं। 
इन विभागों से मिल रही एनओसी
पहाड़ों के संरक्षण की जिम्मेदारी नगर निगम, राजस्व विभाग की है। इन विभागों के द्वारा निर्माण करने की अनुमति दी जा रही है और टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के जिम्मेदार भी उसी आधार पर अपनी अनुशंसा देकर फाइल को आगे बढ़ा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि तीनों विभागों के जिम्मेदार अगर सही तरीके से दस्तावेजों का परीक्षण कर लें तो उन्हें मालूम हो जाएगा की यह सही है या गलत। परीक्षण से ही पहाड़ों को बचाया जा सकता है, नहीं तो एक समय ऐसा आएगा जब शहर में ऑक्सीजन के लिए पहाड़, हरियाली ही नहीं बचेगी। 
 

Created On :   10 Sep 2021 8:28 AM GMT

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