बंकर से बार्डर तक का सफर था खौफनाक

The journey from the bunker to the border was scary
बंकर से बार्डर तक का सफर था खौफनाक
छिंदवाड़ा बंकर से बार्डर तक का सफर था खौफनाक

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। यूक्रेन के खारकीव में जंग के भयावह हालातों के बीच से रविवार रात छिंदवाड़ा के दोनों छात्र सुरक्षित लौट आए हैं। खारकीव के बंकर से पौलेंड बार्डर तक ये छात्र खौफनाक मंजर से गुजर चुके हैं। बेटों के वापस लौटने की खुशी भी इनके परिवार पर साफ झलक रही है। परिवार में मिलने-जुलने वालों का तांता लगा है।
छिंदवाड़ा के कोलाढाना निवासी डॉ. प्रशांत चौरसिया के सुपुत्र प्रत्युष चौरसिया एमबीबीएस थर्ड ईयर की पढ़ाई यूक्रेन के खारकीव प्रांत की बीएन कराजिन यूनिवर्सिटी से कर रहे हंै। वहीं परासिया रोड निवासी धनंजय क्रिपान का बेटा संकल्प क्रिपान भी इसी यूनिवर्सिटी से एमबीएस फस्र्ट ईयर में है। जुलाई २०२१ में छुट्टियां खत्म होने के बाद दोनों छात्र यूक्रेन पहुंच गए थे। दोनों छात्रों ने बताया कि २३ फरवरी की रात तक हालात बिल्कुल सामान्य थे। २४ फरवरी की सुबह ५ बजे धमाकों की आवाज से नींद खुली तो बाहर का नजारा खौफ से भरा था। परिवार के भी फोन बजने शुरु हो चुके थे। एयर स्पेस बंद होने के कारण खारकीव के बंकर में इन्हें दहशत के बीच ही रहना पड़ा। १ मार्च को खारकीव से निकलकर स्टेशन पहुंचे तो रास्ते का मंजर डरा रहा था। दो ट्रेनें छोडऩे के बाद आखिर तीसरी ट्रेन में जगह मिली। २८ घंटे ट्रेन का सफर कर लवीव शहर पहुंचे इन छात्रों को थोड़ी राहत मिली। फिर ९० किलोमीटर का सफर कर बर्फबारी के बीच पोलेंड बार्डर के अंदर जाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा।  अब इन बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है।  वहीं पिपलानारायणवार निवासी डॉक्टर प्रभास सरकार ने बताया कि सोमवार सुबह बेटी इशिका से बात हुई थी। इसके बाद से बेटी से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। पूरा ध्यान फोन की घंटी व मैसेज पर ही लगा हुआ है। हालात यह है कि परिवार टीवी के सामने हर खबर पर टकटकी लगाए हुए बैठा है।

Created On :   8 March 2022 3:04 PM IST

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