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देश का ऐसा पहला शिक्षण संस्थान जहां 7 हजार से ज्यादा जनजातीय छात्र
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डिजिटल डेस्क,शहडोल। पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय देश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जहां 7 हजार से ज्यादा जनजातीय वर्ग के छात्र अलग-अलग विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। खासबात यह है कि छात्र संख्या की तुलना में यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की कम संख्या बड़ी समस्या है।
आदिवासी अंचल में उच्च शिक्षा के इस प्रमुख केंद्र में यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट (यूटीडी) में सभी वर्गों को मिलाकर 12 हजार और स्वाध्यायी छात्रों की संख्या मिला दें तो 14 हजार 5 सौ से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। जानकार ताज्जुब होगा कि विश्वविद्यालय के मुख्य और शहर स्थित कैंपस मिलाकर इतने छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की संख्या महज 44 है। इसमें भी 24 की भर्ती तो बीते महीने ही हुई है। यानी इससे पहले हजारों छात्रों को पढ़ाने के लिए महज 20 प्रोफेसर। जानकार बताते हैं कि इतने छात्रों को पढ़ाने के लिए कम से कम साढ़े 3 सौ प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की जरुरत पड़ेगी। इसमें अतिथि विद्वानों की मदद से कमी दूर करने की कोशिश हो रही है, लेकिन वह भी नाकाफी है। यहां ज्यादातर विषयों में प्रोफेसरों की कमी का असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
दांव पर छात्रों का भविष्य
कॉलेज में बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की कमीं से छात्रों को भविष्य दांव पर है। अभिभावकों की मांग है कि पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में जनजातीय बच्चों की संख्या को देखते हुए प्रोफेसरों के खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए। विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमीं का असर सीधे तौर पर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। कई छात्रों ने बताया कि वे कॉलेज तक जाते हैं और वहां शिक्षकों के नहीं होने के बाद बिना पढ़ाई के ही लौट आते हैं।
इधर, विवादों के साये में 68 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती
68 में 48 की भर्ती इसमें भी 24 की ही पूरी हुई प्रक्रिया, शेष के लिए अब राज्य शासन से अनुमति लिए जाने की तैयारी
पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की कमी के बीच बीते वर्ष 68 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी विवादों के साये में है। भर्ती में पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाने को लेकर लगातार विरोध का क्रम जारी है। भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने वाले आवेदक लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं। हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामशंकर भर्ती में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को सिरे से नकार रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी भर्ती यूजीसी की नियमावली 2018 के अनुरुप हुई है। एक पद के एवज में 12 लोगों को बुलाना था, वैसा ही किया गया। शार्टलिस्टिंग के बाद 48 पदों पर भर्ती प्रक्रिया हुई। इसमें 24 की पूरी हुई। शेष 24 के साथ ही 20 पद जिनकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है, उन पर भर्ती के लिए राज्य शासन से जल्द अनुमति ली जाएगी।
Created On :   30 Nov 2022 3:44 PM IST