भावांतर योजना: किसानों को खींचने में नाकाम दिख रही योजना

the attraction of farmers showing less in the Bhavantar scheme
भावांतर योजना: किसानों को खींचने में नाकाम दिख रही योजना
भावांतर योजना: किसानों को खींचने में नाकाम दिख रही योजना

 डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए चलाई जाने वाली भावांतर योजना में किसानों का रूझान कम दिखाई दे रहा है। दरअसल, आंकड़ों पर गौर करें तो शुक्रवार की शाम तक योजना अंतर्गत कुल 28768 हजार पंजीयन हुए हैं। प्रशासन द्वारा मैदानी अमले के माध्यम से किसानों को पंजीयन के लिए प्रेरित करने की कवायद का कोई प्रभाव नहीं दिखा है।
उल्लेखनीय है कि सहकारी एवं विपणन समितियों के पास राजस्व विभाग एवं जनपदों के माध्यम से ग्राम सभा कर बड़ी संख्या में आवेदन तो जमा कराए गए, लेकिन इनमें कागजी खानापूर्ति नहीं होने की वजह से जिले में लगभग 3500 से अधिक आवेदन आनलाइन नहीं हो पाए हैं।
कम हुई वर्षा, अटका है भुगतान
जिले में कम बारिश की वजह से खरीफ की फसलें जमकर प्रभावित हुई हैं। सोयाबीन एवं उड़द में जहां लागत निकलना मुश्किल रहा। वहीं किसानों ने यह फसलें जानवरों के हवाले तक कर दी। इसके अलावा बीते महीनों में हुई समर्थन मूल्य खरीदी का भुगतान भी अटका हुआ है। इन सभी वजहों के चलते पंजीयन कराने में किसान की ज्यादा रूचि नहीं रही।
नहीं रहा सामंजस्य
पंजीयन में तेजी लाने के लिए जुटाए गए कृषि, राजस्व और पंचायत के अमले में सामंजस्य का अभाव स्पष्ट दिखा। 15 अक्टूबर को खरीफ पंजीयन बंद होने के बाद भी इन विभागों का अमला ग्रामसभा से प्राप्त आवेदन अपने पास रखे रहा। प्रशासन की मानीटरिंग के बाद अचानक इन फार्मो को सोसायटी को देना शुरू किया गया।
अपूर्ण फार्मो का इंतजार
ग्राम सभा के माध्यम से जुटाए गए आवेदनों से अपूर्ण फार्मो की संख्या भी खासी है। आलम यह है कि गन्ने के लिए भी भावांतर का फार्म भर दिया गया है। समग्र आईडी, आधार कार्ड सहित रकबा और अन्य जानकारियों के अभाव से ज्यादातर फार्म आनलाइन नहीं हो पाए है।
उड़द के सर्वाधिक पंजीयन
योजनान्तर्गत उड़द के सर्वाधिक पंजीयन हुए हैं। शुक्रवार की शाम तक मिले आंकड़ों के अनुसार 20 हजार 637 पंजीयन उड़द के लिए कराए गए हैं। वहीं अन्य फसलों में तुअर के 9113, मूंग के 997 तथा सोयाबीन के 5538 कृषकों के ही पंजीयन किए गए हैं।
फर्जीवाड़ा की भी संभावना
योजना का लाभ उठाने के लिए व्यापारियों की सांठगांठ से पंजीयन कराने की संभावनाएं भी सूत्रों ने जाहिर की है। बताया गया है कि बीते समय हुई समर्थन मूल्य में हुई गड़बडिय़ों को सुधारने के लिए बहुतेरे व्यापारियों ने किसानों के नाम पर पंजीयन कराया है। इसका पटवारी की आनावारी से मिलान किया जाए तो फर्जीवाड़ा सामने आएगा।

 

Created On :   21 Oct 2017 4:49 PM IST

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