टीबी मरीजों की राशि डकारने का मामला - सीज होंगे 12 बैंकों के 75 खाते, एक कर्मचारी ने वापस किए 9 लाख रु.

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टीबी मरीजों की राशि डकारने का मामला - सीज होंगे 12 बैंकों के 75 खाते, एक कर्मचारी ने वापस किए 9 लाख रु.

डिजिटल डेस्क,सतना। क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के तहत नि:क्षय पोषण योजना में टीबी मरीजों के पोषण आहार में हुए आर्थिक घोटाले में 12 बैंकों के करीब 75 खातों को सीज करने के लिए संबंधित बैंकों को चिट्टी लिखी गई है। जबकि सबसे बड़े घोटालेबाज सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) मोहम्मद जमालुद्दीन ने कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए दो अलग-अलग डिमाण्ड ड्रॉफ्ट (डीडी) के जरिए 9 लाख रुपए नेशनल हेल्थ मिशन को लौटा दिए हैं। अभी आधा दर्जन एसटीएस और कुछेक एमपीडब्ल्यू, टीबी हेल्थ विजिटर (टीबीएचवी) और हैं जो आर्थिक गबन के दोषी पाए गए हैं। इनसे भी रिकवरी की जाएगी। 

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि भारत सरकार ने पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान पोषण सहायता देने के लिए इंसेंटिव प्रदान करने के लिए नि:क्षय पोषण योजना शुरू की गई है, जिसके तहत एक अप्रैल 2018 से इलाज कराने वाले नए मरीजों के लिए पोषण सहायता प्रदान करने के लिए पांच सौ रुपए का इंसेंटिव प्रति माह प्रदान किए जाने का प्रावधान रखा गया। एक टीबी के मरीज का कम से कम छ: माह उपचार चलता है लिहाजा ऐसे मरीज को 6 महीने में कम से कम 3 हजार की राशि देना तय हुआ था। यह राशि उपचार के दौरान ही 3 किश्तों में मरीज के खाते में डालने का नियम है।

ऐसे हुआ अमानत में ख्यानत

इस राशि को हितग्राहियों के खातों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉकों में एसटीएस तथा शहर में टीबीएचवी को जिम्मेदारी दी गई मगर पोषण आहार की राशि में एसटीएस और टीबीएचवी की नीयत खराब हो गई। हितग्राहियों के हिस्से की राशि डकारने की गरज से इन कर्मचारियों ने टीबी के मरीजों की राशि अपने सगे संबंधियों और जान-पहचान वालों के खातों में डलवा दी। नि:क्षय योजना के सॉफ्टवेयर डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर रिस्क असेसमेंट ने यह आर्थिक अनियमितता को पकड़ लिया। सॉफ्टवेयर के मुताबिक जिले में तकरीबन साढ़े 11 लाख रुपए का गबन किया गया है।

7 माह - 137 खातों मेें लेनदेन

अप्रैल 2018 की जानकारी तो नहीं मिली मगर सॉफ्टवेयर के मुताबिक 1 जनवरी से 31 जुलाई 2019 के बीच 137 खातों में फर्जी लेन-देन हुआ। जिला क्षय विभाग के कर्मचारियों ने कहीं अपने रिश्तेदारों के खातों में पैसा जमा कराया तो किसी ने अपनी पत्नी और बेटे के खातों में राशि डलवाई। गुरुवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एके अवधिया के निर्देश के बाद जिला क्षय अधिकारी डॉ. एसपी शर्मा ने 12 बैंकों को पत्र लिखकर 75 खाते सीज करने की सिफारिश की है। 

गफलत करने वालों में ये शामिल

सूत्रों से हासिल जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा आर्थिक गबन मैहर के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर जमालुद्दीन ने किया है। इसके नाम पर लगभग 9 लाख रुपए की रिकवरी निकली है। दरअसल, जमालुद्दीन के पास उचेहरा ब्लॉक का भी चार्ज था। सो, उसने दोनों जगह पोषण आहार के नाम पर गफलतबाजी की। इसके अलावा रामपुर बघेलान के एसटीएस मनोज कोल, देवराजनगर के चंचल सिंह के अलावा अमरपाटन, कोठी, नागौद के एमपीडब्ल्यू समेत शहर के टीबीएचवी आनंद पाण्डेय, उदय और वंदना पाण्डेय पर आर्थिक गबन का आरोप है। सभी दोषियों को राशि जमा करने की नोटिस थमा दी गई है। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो अमानत में ख्यानत का मुकदमा पंजीबद्ध कराया जाएगा। जमालुद्दीन ने उचेहरा और मैहर के बैंकों से मिशन डायरेक्टर के नाम पर 9 लाख रुपए की डीडी बनवाकर विभाग के सुपुर्द कर दिया है।
 

Created On :   23 Aug 2019 1:55 PM IST

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