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कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की देखभाल के लिए बनी टास्कफोर्स, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के चलते जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मौत हो गई उनकी देखभाल और अधिकारोंं के संरक्षण के लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में टास्कफोर्स गठित की जाएगी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने सोमवार को इससे जुड़ा आदेश जारी किया गया है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनके अभिभावकों की मौत हो गई।अनाथ हो चुके इन बच्चों को गंभीर परेशानी से जूझना पड़ रहा है। देखभाल करने वाला कोई न होने के चलते डर है कि बच्चे ऐसे लोगों के चंगुल में फंस सकते हैं,जो उनका शोषण करें। बच्चों के बाल तस्करों या बाल मजदूरी कराने वालों के चक्कर में फंसने का भी डर है। सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना के चलते अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के लिए जिलास्तर पर टास्कफोर्स बनाने का निर्देश दिया था। इसी निर्देश के मुताबिक राज्य सरकार ने टास्कफोर्स के गठन का फैसला किया है। जिलाधिकारी के अलावा टास्क फोर्स में संबंधित जिलों की महानगर पालिकाओं के आयुक्त, पुलिस आयुक्त, पुलिस अधीक्षक(ग्रामीण), जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, जिला शल्य चिकित्सक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी सदस्य के तौर पर नियुक्त किए जाएंगे। जिला बाल संरक्षण अधिकारी समन्वयक और जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी टास्क फोर्स के सदस्य सचिव के तौर पर काम करेंगे।
बांटी गई सबकी जिम्मेदारियां
जिलाधिकारी इस टास्क फोर्स पर पूरा नियंत्रण रखेंगे। उनकी अध्यक्षता में हर 15 दिन में टास्क फोर्स की बैठक की जाएगी। जिलाधिकारी के जरिए समन्वयक को निर्देश दिए जाएंगे कि वह दोनों अभिभावकों को गंवाने वाले बच्चों के बारे में विस्तृत जानकारी दें। मनपा आयुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि समन्वय अधिकारी को अनाथ हो चुके बच्चों की जानकारी संबंधित अधिकारी मुहैया कराएंगे। जिला शल्य चिकित्सक और जिला स्वास्थ्य अधिकारी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि अस्पताल में दाखिल होते वक्त अभिभावकों से यह जानकारी ली जाए की उनके जीवित न होने पर उनके बच्चों की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए। सभी अस्पतालों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 के बोर्ड लगाने के साथ बालगृहों में इलाज के लिए स्वतंत्र चिकित्सा पथक बनाने होंगे। पुलिस आयुक्त/अधीक्षक को सुनिश्चित करना होगा कि अनाथ बच्चे शोषण करने वालों के चंगुल में न फंसे और बच्चों को गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक संदेश फैलाने वालों पर कार्रवाई का जिम्मा भी पुलिस अधिकारियों को सौंपा गया है। जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव का जिम्मा होगा कि वे बच्चों को उनके कानूनी अधिकार दिलाएं। इसके लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई भी करें। जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी कि वे ऐसे बच्चों के नजदीकी रिश्तेदार खोजें जिन्हें उन्हें सौंपा जा सके। जरूरत होने पर गोद दिए जाने की प्रक्रिया पूरी करें। जिला बाल संरक्षण अधिकारी को सुनिश्चित करना होगा कि 18 साल तक के बच्चों को उनके सभी अधिकार मिले।
महिला एवं बाल विकास मंत्री एड यशोमती ठाकुर के मुताबिक कोविड के चलते पूरे देश में अनाथ बच्चों की बड़ी सामाजिक समस्या खड़ी हो रही है। राज्य सरकार ऐसे बच्चों के पालन, पोषण, सुरक्षा और शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाएगी। इसके लिए पूरी क्षमता से कार्य किया जाएगा।
आईए कुंदन, प्रधान सचिव, महिला एवं बाल विकास ने बताया कि कोविड के चलते दोनों अभिभावकों को गंवाने वाले अनाथ बच्चों का शोषण न हो इसलिए जिलास्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया है। माता-पिता दोनोें के अस्पताल में दाखिल होने पर बच्चोें का जिम्मा किसे सौंपा जाए इसकी जानकारी हासिल की जाएगी। साथ ही ऐसे बच्चों की परवरिश, स्वास्थ्य और शिक्षा का खयाल रखने वाले कदम उठाए जाएंगे।
Created On :   10 May 2021 7:32 PM IST