गन्ने से घुल रही महिलाओं के जीवन में मिठास*

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
लखनऊ गन्ने से घुल रही महिलाओं के जीवन में मिठास*

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। गन्ने की खेती से सिर्फ किसानों के ही नहीं बल्कि महिलाओं के जीवन में भी मिठास घुल रही है। प्रदेश के 37 प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में स्वयं सहायता समूहों के जरिये उन्नत प्रजाति के पौध (सीडलिंग) तैयार करने से करीब 60 हजार महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। इस काम से अब तक लगभग 4 लाख मानव दिवसों का सृजन हो चुका है।  चूंकि ये महिलाएं उन्नत किस्म के गन्ने की प्रजातियों के पौध तैयार करती हैं, लिहाजा गन्ने की उपज, रकबा, चीनी का परता और अंततः इस सबके जरिये गन्ना किसानों की आय बढ़ाने में भी योगदान दे रहीं हैं।

प्रदेश के 37 गन्ना बहुल जिलों में गन्ना विकास परिषद एवं चीनी मिलों ने संयुक्त रूप से गांवों का चयन करते हुए महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर इनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की। इसके अंतर्गत महिलाओं को यथासंभव अनुदान के माध्यम से और चीनी मिलों के सहयोग से आवश्यक मशीनें, एवं उपकरण उपलब्ध कराए गए। इन समूहों द्वारा 10 लाख से अधिक गन्ना पौधों का उत्पादन किया जा रहा है। इनमें से कई समूह जैसे जागृति महिला स्वयं सहायता समूह बुलन्दशहर, अन्नपूर्णा महिला स्वयं सहायता समूह बरेली, गंगा महिला स्वयं सहायता समूह सहारनपुर आदि इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर अपनी भूमिका निभा रही हैं। बेहतर काम करने वाले समूहों को विभाग की ओर से सम्मानित भी किया जाता है।

रोजगार के साथ उन्नत खेती में भी योगदान
इसके माध्यम से न केवल ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार एवं आय का अतिरिक्त जरिया मिला है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण बीज की त्वरित उपलब्धता भी सुनिश्चित हुयी है। सीडलिंग से कम बीज से अधिक आच्छादन किया जाना भी संभव हो रहा है। योजना के तहत अब तक प्रदेश के 37 गन्ना उत्पादक जिलों में 3,003 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। इन समूहों के माध्यम से अब तक 2,463 लाख सीडलिंग का उत्पादन किया जा चुका है। जिससे उन्हें लगभग 6478 लाख रुपये तथा प्रति समूह औसतन 75 हजार से 27 लाख रुपये प्रतिवर्ष की आय प्राप्त हुयी है। इसके अतिरिक्त महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गये पौधों के खेत में रोपाई कराने के लिए उनके परिवार के सदस्यों को भी लगभग 1.70 करोड़ रुपये आय प्राप्त हुयी है। इस योजना से अब तक 58,905 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध हुआ है तथा कुल 3,70,600 कार्य दिवस का रोजगार सृजित हुआ है। समूहों द्वारा उत्पादित सीडिलिंग की बोआई से कुल 9,265 हेक्टेयर रकबे में गन्ने की नयी प्रजातियों खास तौर पर नवीन गन्ना किस्मों (कोशा 13235, कोशा 14201, कोशा 15030 आदि) का आच्छादन हुआ है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में नगदी फसल के रूप में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। लगभग 46 लाख किसान परिवारों की आजीविका का यही प्रमुख स्रोत है। इन किसानों की बेहतरी के लिए योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही प्रतिबद्ध है। गन्ना मूल्य में वृद्धि, नयी एवं आधुनिक मिलों की स्थापना, पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण के जरिये क्षमता विस्तार, पेराई एवं समय से रिकॉर्ड भुगतान इसके प्रमाण हैं।

Created On :   1 Sept 2022 6:09 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story