हैरतंगेज : उत्तराखंड पुलिस घर से बुलाकर बांट रही करोड़ों के मोबाइल फोन

Surprising: Uttarakhand police calling from home and distributing crores of mobile phones
हैरतंगेज : उत्तराखंड पुलिस घर से बुलाकर बांट रही करोड़ों के मोबाइल फोन
हैरतंगेज : उत्तराखंड पुलिस घर से बुलाकर बांट रही करोड़ों के मोबाइल फोन
हाईलाइट
  • हैरतंगेज : उत्तराखंड पुलिस घर से बुलाकर बांट रही करोड़ों के मोबाइल फोन (आईएएनएस विशेष)

डिजिटल डेस्क,देहरादून। हिंदुस्तान में क्या आपने कभी किसी राज्य, जिला या थाना पुलिस को घर से बुला-बुलाकर लोगों को कीमती मोबाइल फोन बांटने की खबर देखी-सुनी या पढ़ी है। आपका जबाब होगा नहीं। यहां आप गलत हैं। ऐसा भी हो रहा है। करीब डेढ़ अरब की आबादी वाले लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान में ऐसा भी हो रहा है। यह कोई कहानी नहीं हकीकत है। इस हकीकत को सिर-ए-अंजाम चढ़ा रही है उत्तराखंड राज्य पुलिस।

जी हां, राजधानी देहरादून पुलिस की मोबाइल रिकवरी सेल के बाहर इन दिनों मोबाइल पाने वालों की लंबी लाइन लगी है। यह लाइन लगवाई है खुद देहरादून पुलिस ने घर-घर से लोगों को बुलवाकर। यह मोबाइल फोन भी कोई दो-चार सौ या हजार-दो-हजार की कीमत के नहीं हैं। बांटे जाने वाले इन मोबाइल फोन की कीमत है दो करोड़ रुपये से भी ज्यादा की। गुरुवार को फोन पर आईएएनएस से इसकी पुष्टि खुद उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार ने की।

अशोक कुमार ने आईएएनएस से कहा, राज्य में वे पीड़ित लोग जिनके मोबाइल फोन चोरी हो जाते थे या फिर जिनके मोबाइल फोन छीन लिए जाते थे, थाने-चौकी में पहुंचते थे, परेशान होते रहते थे। कुछ लोग थाने-चौकी और कानून के झमेलों से बचने के लिए पुलिस के पास जाने से ही कतरा जाते थे। जो लोग मोबाइल चोरी की शिकायत नहीं करते थे, वे मामले कानून की ²ष्टि में समाज के लिए और भी खतरनाक हो जाते हैं।

राज्य के पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था ने आईएएनएस को आगे बताया, जिन मोबाइल चोरी के मामलों की अधिकृत सूचना पुलिस के पास मौजूद नहीं है। वे मोबाइल फोन किसी आपराधिक घटना में इस्तेमाल होने पर पुलिस और मोबाइल फोन स्वामी दोनों के लिए ही सिर-दर्द बन जा रहे थे। यह तमाम तथ्य मेरे संज्ञान में आए। उसी समय मैने तय कर लिया कि मोबाइल फोन चोरी-झपटमारी से संबंधित मामलों में पुलिस को तुरंत पीड़ितों की मदद करना जरुरी है।

पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार के अनुसार, लिहाजा मैंने साइबर सेल के अधीन मोबाइल रिकवरी सेल गठित कर दी। मोबाइल रिकवरी सेल का काम ही सिर्फ खोए और चोरी हुए मोबाइल फोन की तलाश करना रखा गया। यह बात है नवंबर 2017 के आसपास की। इसका मुख्यालय बनाया गया देहरादून में गांधी रोड पर स्थित साइबर सेल कार्यालय में ही।

जानकारी के मुताबिक, मोबाइल रिकवरी सेल खोए हुए मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाने लगी। धीरे-धीरे राज्य पुलिस द्वारा गठित मोबाइल रिकवरी सेल को कामयाबी मिलने लगी। बीते साल यानि सन् 2019 में मोबाइल रिकवरी सेल ने 781 मोबाइल फोन बरामद कर लिए। इनकी अनुमानित कीमत करीब एक करोड़ रुपये आंकी गई।

आईएएनएस को उत्तराखंड पुलिस के मोबाइल रिकवरी सेल मुख्यालय से हासिल अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, जबसे इस विशेष सेल का गठन हुआ, तब से अब तक यानि 26 महीने में 1,643 मोबाइल फोन बरामद किये जा चुके हैं। इस हिसाब से एक अनुमान के मुताबिक 75 मोबाइल प्रति माह इस मोबाइल रिकवरी सेल ने तलाश कर लिए। इतनी बड़ी तादाद में बरामद मोबाइल फोन की कीमत दो करोड़ पांच लाख 37 हजार 500 रुपये आंकी गई, जोकि भारत जैसे विशाल देश के किसी सूबे की पुलिस द्वारा बरामद मोबाइल की सबसे ज्यादा रिकॉर्ड तादाद कही जा सकती है।

करोड़ों की कीमत वाले और इतनी बड़ी तादाद में बरामद मोबाइल फोन को उनके वारिसों/मालिकों तक पहुंचाने के लिए भी उत्तराखंड पुलिस को भागीरथ प्रयास करने पड़ रहे हैं। इस बात से राज्य के पुलिस महानिदेशक अपराध एंव कानून व्यवस्था अशोक कुमार इंकार नहीं करते हैं।

आईएएनएस से खास बातचीत में उन्होंने कहा, हां शुरुआती दौर में जब पुलिस ने घर-घर पहुंच लोगों को बुलाकर उन्हें उनके खोए मोबाइल देने लिए बुलाया तो किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था। अब मीडिया के जरिये जबसे इतनी बड़ी तादाद में मोबाइल बरामदगी की खबरों का प्रचार-प्रसार हो रहा है तब से तो लोग खुद ही मोबाइल रिकवरी सेल मुख्यालय पर पहुंच रहे हैं।

उत्तराखंड राज्य के पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार से जब आईएएनएस ने पूछा, मोबाइल तलाशने के इस नायाब फार्मूले को अमल में लाने वाला उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य और पुलिस पहली प्रदेश पुलिस बन गयी है क्या? इस पर उन्होंने आईएएनएस से कहा, हो सकता है ऐसा हो। इसका दावा मगर मैं नहीं कर सकता। हां इतना मुझे विश्वास है कि इतनी कम समयावधि में इतनी बड़ी तादाद में शायद ही किसी अन्य राज्य की पुलिस द्वारा मोबाइल बरामद करके उन्हें उनके मालिकों तक घर-घर पहुंचकर बांटने की प्रक्रिया अमल में लाई गयी होगी।

 

Created On :   16 Jan 2020 3:00 PM IST

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