किसान नेताओं को जारी नोटिस, सड़क पर अवरोधों को हटाने की मांग वाली याचिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले 11 महीने से केन्द्र के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के 40 से अधिक नेताओं को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नोटिस जारी किया है। दिल्ली-एनसीआर सीमा पर सड़क नाकेबंदी के खिलाफ दायर एक रिट याचिका में अतिरिक्त प्रतिवादी के रुप में 43 किसान नेताओं को पार्टी बनाने के लिए हरियाणा सरकार ने आवेदन दायर किया था। जस्टिस संजय कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने आज इस पर सुनवाई के दौरान प्रस्तावित नए प्रतिवादियों को हरियाणा सरकार के आवेदन पर नोटिस जारी किया है। किसान नेता राकेश टिकैत, गुरुनाम सिंह चढुनी, दर्शनपाल, योगेन्द्र यादव आदि जैसे नेता हरियाणा सरकार द्वारा जोडे जाने वाले 43 व्यक्तियों में शामिल है।
हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए केन्द्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील में कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने बातचीत करने के लिए एक समिति का गठन किया है और विरोध करने वाले नेताओं ने एक बैठक के लिए आने से इंकार कर दिया है। मेहता ने कहा कि नोटिस जारी किया जाए ताकि वे यह न कहें कि उनके पास आने का कोई कारण नहीं था। पीठ मेहता के इस अनुरोध पर नोटिस जारी करने पर राजी हुई।
गौरतलब है कि नोयडा रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से आवाजाही में बाधा डालने वाले अवरोधों को हटाने की मांग की थी। उसका कहना था कि उन्हें दिल्ली में आने में 20 मिनट के बजाय 2 घंटे लगते हैँ। शीर्ष अदालत इस मुख्य याचिका पर सुनवाई कर रही है। जस्टिस कौल ने बीते 30 सितंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए सडक नाकेबंदी के खिलाफ कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां की थी। कहा था कि राजमात्रों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। सड़क पर विरोध प्रदर्शन के बजाय न्यायिक मंच या संसदीय बहस के माध्यम से निवारण की मांग की जानी चाहिए
Created On :   4 Oct 2021 7:03 PM IST