महाराष्ट्र में अभी भी स्कूल से बाहर हैं हजारों बच्चे, घोषणा तक सीमित रह गया शिक्षा मंत्री का एेलान

Still thousands of children are out of school in Maharashtra
महाराष्ट्र में अभी भी स्कूल से बाहर हैं हजारों बच्चे, घोषणा तक सीमित रह गया शिक्षा मंत्री का एेलान
महाराष्ट्र में अभी भी स्कूल से बाहर हैं हजारों बच्चे, घोषणा तक सीमित रह गया शिक्षा मंत्री का एेलान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के शिक्षा मंत्री भले ही स्कूल न जाने वाले बच्चे दिखाने पर एक हजार रुपए पुरस्कार देने का ऐलान कर वाहवाही लूटने की कोशिश कर चुके हो लेकिन हकीकत ये है कि राज्य के 32 हजार 850 बच्चे अब भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। सरकार ने खुद अपने आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह स्वीकार किया है। इसके अलावा राज्य में 3 हजार 796 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। सामाजिक संस्था ‘समर्थन’ ने अपने अध्ययन रिपोर्ट में इसके लिए राज्य सरकार की आलोचना की है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2017 में 48 हजार 379 बच्चे ऐसे मिले थे जो स्कूल नहीं जाते थे। सरकार ने इनमें से 15 हजार 529 बच्चों के स्कूल जाने की व्यवस्था तो कर दी लेकिन बाकी बच्चे शिक्षा का अधिकार कानून होने के बावजूद स्कूलों से वंचित है। सरकार का दावा है कि स्कूल न जाने वाले 48 हजार 379 बच्चों में से 36 हजार 185 का चुनाव विशेष प्रशिक्षण के लिए किया गया है। अप्रैल 2016 में शिक्षामंत्री तावडे ने विधानसभा में दावा किया था कि अगले कुछ महीनों में सरकार योजना लाएगी जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी भी इलाके में स्कूल न जाने वाला बच्चा दिखाएगा तो उसे एक हजार रुपए ईनाम दिया जाएगा। यह ईनाम जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा मंत्री और तहसील शिक्षा अधिकारी के वेतन से काटा जाएगा। 

1 करोड़ 63 लाख निरक्षर 
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में अब भी 1 करोड़ 63 लाख लोग निरक्षर हैं। राज्य के छह करोड़ 77 लाख यानी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी माध्यमिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाई है। राज्य की साक्षरता दर फिलहाल 82.3 फीसदी है जो देश के 73 फीसदी के औसत से कहीं ज्यादा है। 

छात्राओं से जुड़ी योजनाओं पर खर्च घटा 
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारों के बीच राज्य में छात्राओं को दिए जाने वाले भत्ते में कमी आई है। उपस्थिती भत्ता, अहिल्याबाई होल्कर योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, 11वीं 12वी में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त शिक्षा जैसी योजनाओं के तहत 2016-17 में 93 करोड़ 47 लाख रुपए खर्च किए गए थे और इसका लाभ 26 लाख छात्राओं ने उठाया था। लेकिन साल 2017-18 (दिसंबर तक) में 19 लाख 78 छात्राओं ने ही इसका लाभ उठाया और इसके लिए 76 करोड़ 42 लाख रुपए खर्च किए गए। यानी योजना का लाभ लेने वाली छात्राओं की संख्या में 6 लाख 22 हजार और खर्च में 17 करोड़ 5 लाख रुपए की कमी आई।  

आकड़ों के आईने में शिक्षा व्यवस्था 

॰ राज्य में 3 हजार 796 स्कूलों में केवल एक शिक्षक
॰ 1 हजार 528 स्कूलों में पीने का पानी नहीं
॰ 15 हजार 126 स्कूलों तक जाने के लिए रास्ते नहीं
॰ 3 हजार 408 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं
॰ 6 हजार 178 स्कूलों में बिजली नहीं
॰ 33 हजार 236 स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं
॰ जर्जर हैं 29 हजार 301 स्कूल
॰ राज्य में अनुसूचित जनजातियों में साक्षरता दर सबसे कम  65.7 फीसदी
॰ 2017-18 में 1 हजार 557 नए स्कूल खुले, कुल 1 लाख 6 हजार 527 स्कूल हैं
॰ 75 हजार 513 विद्यार्थी मदरसों या दूसरे असामान्य स्कूलों से पढ़ रहे हैं
॰ 14 हजार 594 स्कूलों में खेल का मैदान नहीं

Created On :   30 March 2018 5:59 PM IST

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