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फसलों पर दवा छिड़काव के लिए अत्याधुनिक मशीनों का हो रहा इस्तेमाल
डिजिटल डेस्क, अकोला. पंजाबराव देमशुख कृषि विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय एग्रोटेक 2022 प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में किसानों के लिए बैंगलुरू की भारतीय एगटेक स्टार्टअप ने एआई स्पॉट स्प्रेईंग रोबोट का प्रदर्शन किया। इस मशीन के माध्यम से पौधों की पहचान कर उन पर स्प्रे करता है। इसस किसानों की रसायनों पर किए जाने वाले खर्च में 60 फीसदी की बचत होती है। इसके अलावा अनचाहे रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आने से मिट्टी को भी सुरक्षा मिलती है। एग्रोटेक में पेश किए गए इस रोबोट की जानकारी किसानों ने वहां पर उपस्थिति कंपनी के प्रतिनिधियों से ली।
अनचाहे छिड़काव से राहत
अपने स्मार्ट स्प्रे टेक्नोलॉजी के साथ एआई पावर्ड रोबोट रसायनों का छिडकाव केवल पौधे पर करता है और उपजाऊ जमीन को रसायनों के अवांछित संपर्क में आने से रोकता है। इस मशीन के माध्यम से केवल पौधों पर दवाई का छिडकाव होता है जिसके चलते किसानों का दवाईयों के छिडकाव पर 60 प्रशति की बचत होती है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरक क्षमता बरकरार रहती है। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण फसलों पर समय समय पर कीटनाशकों का छिडकाव करना पड़ता है। दवाईयों के छिडकाव के लिए विशेषज्ञ मजदूर समय पर नहीं मिल पाते है। इस मशीन के माध्यम से किसान मानवीय श्रम पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते है।
मिटटी की उर्वरक क्षमता रहती है बरकरार
खेतों की फसलों पर दवाईयों का छिडकाव मजदूरों अथवा खेत मालिक स्वयं करते है। छिडकाव के दौरान यदि सुरक्षा यंत्रणा का इस्तेमाल न किया जाए तो उसके परिणाम कभी कभार भयंकर होते हैं। इसके अलावा मजदूरों द्वारा दवा का छिडकाव करने पर अधिक मात्रा में कीटनाशक लगता है तथा उपजाऊ मिट्टी की उर्वरक्ष क्षमता कम होती है। इस रोबोट के माध्यम से दवा का छिडकाव करने पर व पौधों की पहचान कर दवा का छिडकाव करता है।
पीकेवी में कड़कनाथ नागरिकों का बना केंद्र बिंदु
डा पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राज्यस्तरीय कृषि प्रदर्शनी व कृषि महोत्सव चल रहा है। इस प्रदर्शनी में विशेषकर अकोला तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम खड़का निवासी गजानन डाबेराव का पोल्ट्री स्टॉल आकर्षण का केंद्र बिंदु बन गया है। इस पोल्ट्री फार्म में कड़कनाथ मुर्गे को देखने के लिए वह प्रत्येक व्यक्ति आ रहा है। जिसकी जानकारी उसे मिली, गजानन डाबेराव के पास दो एकड खेत में पर्याप्त उपज न होने के कारण उन्होंने पूरक व्यवसाय के रूप में मूर्गी पालन का चयन किया। विगत 11 से 12 वर्ष पूर्व उन्होंने मूर्गी पालन का व्यवसाय आरंभ किया जो आज की स्थिति में किसी भी मोहताज का परिचय नहीं है। शिक्षा के नाम केवल वह 9 वीं तक पढाई कर पाए। उनके पोल्ट्री फार्म में बटेर, कडकनाथ मूर्गी तथा उसके बच्चे, फॅन्सी बर्ड सिल्की, टर्की पक्षी, चीनी मूर्गा, राजहंस बदक, असिल लड़ाई करने वाला पक्षी, जंगली मूर्गी, काला बदक एक तय रकम पर बेचे जाते हैं। इस व्यवसाय से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई बल्की उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया।
Created On :   30 Dec 2022 5:32 PM IST