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सोन, गोपद से जारी है रेत का अवैध उत्खनन, पुलिस पर अनदेखी करने का आरोप
डिजिटल डेस्क सीधी। सोन, गोपद नदी से हो रहे रेत के अवैध उत्खनन पर भले ही घडिय़ाल अभ्यारण्य और राजस्व अमला कार्रवाई कर रहा हो पर इस मामले में पुलिस पूरी तरह से खामोश देखी जा रही है। आरोप है कि कोतवाली थाना क्षेत्र में रेत से भरे वाहनों को पकडऩे के बाद छोड़ दिया जा रहा है। पुलिस की ढिलाई के चलते ही रेत का अवैध कारोबार नहीं थम रहा है।
ज्ञात हो कि जिले में बालू की अंतर्राज्यीय स्तर पर तस्करी की जा रही है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य क्षेत्र और गोपद नदी से उत्खनित अवैध रेत मुख्यत:उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंचाई जा रही है। ऐसा नही है कि पुलिस को भनक नही लग रही है पर जानकारी मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। अक्सर ओव्हरलोड और अवैध खनन का मामला सामने आने पर वाहनों को ले देकर छोड़ दिया जा रहा है। रेत से भरे वाहन को छोडऩे का ऐसा ही मामला सामने आ चुका है जब रविवार की रात बीट पर तैनात आरक्षक द्वारा रेत लेकर हाईवा क्रमांक यूपी-95 बी-4415 महुआगांव से रीवा लेकर जा रहा था जिसे बाईपास मे ओव्हरलोड के नाम पर पकड़ा गया। पकडऩे के बाद उसे कोतवाली के पीछे लाकर खड़ा करा दिया गया फिर सुबह से हाईवा मालिक को बुलाकर सौदा शुरू हो गया। जब सोमवार शाम गाड़ी छूटी तब हाईवा मालिक से बात की गई तो हाईवा मालिक ने बहुत बड़ा खुलासा किया। हाईवा मालिक ने बताया कि हमसे 30 हजार रूपये हाईवा को छोडऩे के लिए मांगे जा रहे थे जबकि हाईवा मालिक द्वारा 20 हजार रूपये दिए जा रहे थे पूरा दिन 10 हजार को लेकर सौदा अड़ा हुआ था। लेकिन जब शाम को बात फाईनल हो गई तो वाहन मालिक को बुलाकर हाईवा को छोड़ दिया गया। इसके साथ ही हाईवा मालिक ने ये भी बताया कि मेरी बात क्लियर हो गई है अगर अब हाईवा चलवाऊंगा तो उसके लिए 3 हजार रूपये प्रतिमहीने देने पड़ेगें। फिलहाल जो भी हो इस तरह का अकेले एक मामला नहीं आया है बल्कि कई मामलों में पुलिस वाहनों को इसी हिसाब से छोड़ देती है। इसीलिये चोरी का सिलसिला नहीं थम रहा है। बता दें कि अवैध रेत उत्खनन, परिवहन को लेकर अभी तक जितनी भी कार्रवाई हुई है वह राजस्व अमले और घडिय़ाल अभ्यारण्य के द्वारा की गई है। लाकडाउन के दौरान जारी रेत की चोरी के खिलाफ पुलिस की बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आ सकी।
अवैध कारोबार का यह बना तरीका
रेत कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो रेत का अवैध कारोबार खनिज और पुलिस के संरक्षण में चल रहा है। पुलिस विभाग का अपना सिस्टम तय है। इनके द्वारा प्रति ट्रक 5000 रुपये न्यूनतम लिये जाते हैं। इसका बकायदे खाता बही मेंटेन किया जाता है। अगर कभी कोई वाहन अगर पकड़ लिया जाता है तो उसे यह बस बताना पड़ता है कि ये वाहन सिस्टम में है। फिर पकडऩ़े वाला संबंधित से क्लियर कर लेता है और मामला निपट जाता है। लेकिन यहां दो तरीके की इंट्री ली जाती है। एक पिट पास तो है लेकिन ओवर लोड वाहनए जिसका एक हजार रुपये प्रतिमाह प्रति वाहन लगता है। दूसरा बिना पिट पास वाला वाहन जिसका 10 हजार रुपये प्रतिमाह प्रति वाहन लगता है।
Created On :   27 May 2020 3:38 PM IST