शाला सिद्धि की मार्गदर्शिका में मुख्यमंत्री कमलनाथ की जगह शिवराज का संदेश

Shivrajs message in place of Chief Minister Kamal Nath in Shala Siddhis guide
शाला सिद्धि की मार्गदर्शिका में मुख्यमंत्री कमलनाथ की जगह शिवराज का संदेश
शाला सिद्धि की मार्गदर्शिका में मुख्यमंत्री कमलनाथ की जगह शिवराज का संदेश

 डिजिटल डेस्क सीधी। शाला सिद्धि की जिस मार्गदर्शिका को मूल्यांकन के लिये शिक्षकों को उपलब्ध कराया गया है उसमें भारी त्रुटि देखी जा रही है। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देश पर पुस्तिका का प्रारूप आनलाइन उपलब्ध कराया गया है जिसमें सीएम कमलनाथ की जगह शिवराज सिंह चौहान का संदेश दिया गया है। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा मंत्री के रूप में पारसचंद्र जैन प्रदर्शित किये गये हैं। राज्य मंत्री दीपक जोशी भी पुस्तिका में देखे जा रहे हैं। 
फेरबदल नहीं किया 
हमारी शाला ऐसी हो की थीम पर चलाये गये शाला सिद्धी कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जनशिक्षा केन्द्र में 4 माध्यमिक और 4 प्राथमिक शालाओं का शुरूआती दौर में चयन किया गया था। यह सब विद्यालय के बेहतर वातावरण के लिये किया गया था। लोगों के साझा प्रयास से आदर्श स्कूल बनाई जा सके इसके लिये शाला सिद्धी का नाम दिया गया था। बताया जाता है कि शाला सिद्धी के शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है और उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शिका उपलब्ध कराई जाती है। इतना ही नहीं मार्गदर्शिका में दिये गये  विंदुओं के आधार पर मूल्यांकन कराया जाता है।  पिछले तीन, चार साल पहले जब शाला सिद्धी का कार्यक्रम शुरू किया गया तब संबंधित शिक्षकों को राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एक पुस्तिका उपलब्ध कराई गई थी। वर्तमान शिक्षण सत्र में यह पुस्तिका उपलब्ध नहीं हो सकी है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद शाला सिद्धी के कार्यक्रम में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया गया जिस कारण यह योजना यथावत चल रही है। बताया जाता है कि शाला सिद्धी का कार्यक्रम यथावत तो जारी है किंतु मार्गदर्शी पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा अपने निर्देश में केवल यह कहा गया है कि उन्हें जो आनलाइन शाला सिद्धी पुस्तिका उपलब्ध कराई जा रही है उसका वह प्रिंट निकालकर स्वमूल्यांकन के लिये उपयोग करें। वर्ष 2016 में तैयार की गई मार्गदर्शी पुस्तिका में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्कूल शिक्षा मंत्री पारसचंद्र जैन, राज्य मंत्री दीपक  जोशी के संदेश प्रकाशित किये गये थे जो आनलाइन पुस्तिका में यथावत मौजूद देखे जा रहे हैं। दरअसल में पुस्तिका उपलब्ध न करा पाने के कारण राज्य शिक्षा केन्द्र ने आनलाइन पुस्तिका का प्रारूप तो भेज दिया है किंतु फेरबदल की जहमत नही उठाई है। इसीलिये आनलाइन पुस्तिका की प्रिंट निकालकर पुस्तक तैयार करने के बाद शाला सिद्धी के शिक्षक खुद पुस्तक को छिपाते घूम रहे हैं। पुस्तक तैयार करने में पैसे भी खर्च हो रहे हैं और बाहर आने पर शर्मिंदगी भी महसूस हो रही है। डीपीसी व बीआरसी द्वारा दिये गये निर्देश के बाद मजबूरी में उन्हें स्व मूल्यांकन के लिये पुस्तिका तैयार करानी पड़ रही है। 
ऐसे में कैसे सुधरेगी शाला
शाला सिद्धी - हमारी शाला ऐसी हो कार्यक्रम से जुड़े सभी शाला प्रमुखों को शाला के स्तर में सुधार का दायित्व सोंैपते हुये राज्य शिक्षा केन्द्र आयुक्त ने अपने आलेख में कहा है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा प्रयास है कि प्रदेश की शालायें सबसे पहले अपना स्व आंकलन करें अर्थात यथास्थित अपने स्वरूप, कार्यपद्धति एवं प्राप्त परिणामों का सटीक आंकलन कर लें। यह एक सुधारात्मक पहल है, स्वमूल्यांकन के माध्यम से किये गये स्तर निर्धारण के आधार पर कोई दण्डात्मक प्रक्रिया नहीं रखी गई है। इसलिये सभी शाला प्रमुख और शिक्षक बिना भय या संकोच के अपनी शाला का विभिन्न आयामाों एवं मानकों पर स्तर निर्धारित करेंगे। संभव है आयुक्त के इस आलेख के साथ ही योजना का उद्देश्य भी स्पष्ट हो गया है किंतु जिन शिक्षकों के हाथ में मार्गदर्शी पुस्तिका होगी और उसमें मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री के रूप में पुरानी सरकार को भी पढ़ाना पड़ेगा तो किस तरह से शाला की सिद्धी हो पायेगी। 
इनका कहना है-
शाला सिद्धी कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को आनलाइन प्रारूप के तहत पुस्तिका तैयार करने को कहा गया है। ऐसा इसलिये कि राज्य शिक्षा केन्द्र से पुस्तिका नहीं भेजी गई है। शाला सिद्धी का कार्यक्रम डाइट की देखरेख में संचालित हो रहा है। पुस्तिका में अगर किसी प्रकार की त्रुटि आई है तो उसे देखकर सुधार किया जायेगा। 
दिवाकर शुक्ला बीआरसी, सीधी। 
 

Created On :   23 Nov 2019 3:23 PM IST

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