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30 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग
डिजिटल डेस्क, कामठी/कन्हान। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जन्मोत्सव मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. महाकाल नर्मदेश्वर शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शनि देव भगवान का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को शनि जयंती या शनि जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शनि देव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि-विधान के साथ उपासना करते हैं। इस दिन विशेष उपाय करने से शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है। इस बार शनि जयंती 30 मई को मनाई जाएगी। इस वर्ष शनि जयंती पर एक विशेष संयोग भी बन रहा है। शनि जन्मोत्सव पर 30 मई को हमालपुरा स्थित अतिप्राचीन शनि मंदिर में भक्तों द्वारा भगवान शनि देव का तेलाभिषेक, अभिषेक, पूजा-अर्चना की जाएगी। मोदी राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित भगवान शनि देव तथा नवग्रहों की पूजा-अर्चना के बाद मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित भगवान गणेश, रामदरबार, भगवान शिव, हनुमान आदि की पूजा-अर्चना व दर्शन लाभ भक्त लेंगे। गोराबाजार स्थित रुद्रावतार हनुमान मंदिर में अतिप्राचीन शहर की सबसे बड़ी हनुमान प्रतिमा की पूजा-अर्चना, अभिषेक के साथ मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग तथा मंदिर परिसर में प्राण-प्रतष्ठित भगवान शनि देव का तेलाभिषेक, अभिषेक, पूजा-अर्चना होगी।
इस वर्ष शनि जंयती का पर्व बेहद खास माना जा रहा है ज्योतिषाचार्य पं. महाकाल नर्मदेश्वर शास्त्री के अनुसार शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या और वट सावित्री का त्योहार भी मनाया जाएगा। ऐसा संयोग तकरीबन 30 साल बाद बन रहा है। इस दौरान शनि देव कुंभ राशि में रहेंगे और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। शनि जन्मोत्सव पर शनि देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
इस दिन सुबह उठकर स्नान करें, शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें, उनके चरणों में काली उड़द और तिल चढ़ाएं, इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन दान-धर्म के कार्य करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा जाता है, कई ऐसी धाराणाएं बनी हुई हैं कि शनि देव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं, पर सत्य इससे बिल्कुल परे हैं, शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं, शनि की साढ़ेसाति और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है।
Created On :   29 May 2022 6:00 PM IST