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संस्कृत यूनिवर्मेंसिटी में अंतरराष्ट्रीय स्तरीय अध्ययन केंद्र बनने की क्षमता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक में अंतरराष्ट्रीय स्तर का अध्ययन केंद्र बनने की क्षमता है। यह विवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान और सम्मान स्थापित करेगा। यह विश्वास सर्वाच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े ने व्यक्त किया। संस्कृत विवि के रजत महोत्सव स्थापना दिवस समारोह में वे बोल रहे थे।
यूनिवर्सिटी के प्रज्ञाभारती वर्णेकर सभागृह में आयोजित समारोह में संस्कृत विवि को 24 वर्ष पूर्ण होकर विवि ने अब 25वें वर्ष में कदम रखा है। समारोह की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने की। इस अवसर पर बतौर अतिथि सत्संग फाउंडेशन के संस्थापक, अाध्यात्मिक गुरु श्री.म. (मधुकरनाथ), विवि के संस्थापक कुलगुरु डाॅ.पंकज चांदे, पूर्व कुलगुरु डाॅ. उमा वैद्य, संस्कृत भारती के अ.भा. संगठन मंत्री, समन्वयक डाॅ.मधुसूदन पेन्ना, कुलसचिव डाॅ. हरेकृष्ण अगस्ती, डॉ.कविता होले मंच पर उपस्थित थे। प्रस्तावना कुलगुरु प्रो.श्रीनिवास वरखेडी ने रखी।
संगीतमय कार्यक्रमों का आयोजन
‘उर्जस्विनी’ योगमंदिर, उर्जस्विनी निसर्गोपचाार आयुर्वेद और फिजियोथैरपी उपचार एवं चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन भी श्री बोबड़े और श्री.म.(मधुकरनाथ) के हाथों किया गया। शनिवार की शाम ओपन थिएटर में संगीतमय गीतों कार्यक्रम का आयोजन किया गया थाा। संचालन प्रो. पराग जोशी ने तथा आभार कुलसचिव डॉ. हरेकृष्ण अगस्ती ने माना
स्थापना समय से ही जुड़ा हूं : शरद बोबड़े ने कहा कि, वे इस विवि के स्थापना समय से ही जुड़े हैं। विवि की स्थापना संबंधी उन्होंने कई बार स्व.श्रीकांत जिचकार से चर्चा की है। उन्होंने विधि क्षेत्र में भारतीय न्यायशास्रीय ज्ञान के योगदान संबंधी विचार रखे। श्री.म.(मधुकरनाथ) ने कहा कि, संस्कृत यह भारत की आत्मा हैं। संस्कृृृृत की रक्षा कर भारतीय संस्कृति को जीवित रखा जा सकता है, इसलिए संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है। डाॅ. चांदे, डाॅ. उमा वैद्य, दिनेश कामत ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कुलगुरु निवास के पास ‘जातवेदसी’ यज्ञशाला और यज्ञवेदी निर्माण की गई हैं। इसका उद्घाटन महामृत्युंजय यज्ञयाग द्वारा किया गया।
Created On :   20 Sep 2021 8:47 AM GMT