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भरूच में नर्मदा के 80 किलोमीटर क्षेत्र को लील गया है सागर-दिग्विजयसिंह
डिजिटल डेस्क डिण्डौरी। नर्मदा जी का अस्तित्व लगातार संकट में है, वर्तमान स्थितियां नर्मदा जी के भरूच में मिलने के दौरान स्पष्ट नजर आती हैं, जहां सागर 80 किलोमीटर तक नर्मदा जी के क्षेत्र में समाहित हो गया है। और अब वहां पानी खारा हो चुका है जो गंभीर संकट का कारण बन सकता है। तदाशय के उद्गार परिक्रमायात्रा पर डिण्डौरी आए भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने व्यक्त किए। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जहां एक और नर्मदा जी सिकुड़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर औद्योगिकीकरण भी नर्मदा जी के लिए खतरा पैदा कर रहा है। जो नर्मदा जल के अशुद्ध होने का मुख्य कारण बन रहा है। मुख्य रूप से गुजरात में केमिकल प्लांट जो कि भरूच और बालेश्वर में लगे हुए हैं वहां से बड़ी मात्रा में केमिकल बेस नर्मदा जी में समा रहा है। वहीं ज्वार भाटा आने की स्थिति में केमिकल बेस से खतरा बढ़ सकता है इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है और पूरे कैचमेंट के अंदर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना होगा तभी नर्मदा जी के को अशुद्ध होने से बचाया जा सकता है।
खत्म हो रहे हैं स्त्रोत
मैकल पर्वत माला पर जगह-जगह पेड़ों के ना रहने से झिरें स्त्रोत सूख गई हैं और ऐसी स्थिति में नर्मदा जी का जल लगातार कम होते जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नर्मदा किनारे पौधरोपण की आवश्यकता नहीं है। अपितु जंगल को बचाना चाहिए और पहाड़ों पर पौध रोपण किया जाए जिससे उसका पानी बहते हुए नदियों को जीवित बनाए रखें। कहते हैं कि बूंद बूंद से सागर भरता है और इसके लिए शासन प्रशासन की योजना ही नहीं अपितु हर व्यक्ति को आगे आकर अपना योगदान देना होगा।
मशीनों से निकल रही रेत
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि नर्मदा जी की रेत बेखौफ होकर जगह-जगह मशीनों के जरिए निकाली जा रही है और कई जिलों में सैकड़ों पोकलेन मशीन लगी हुई हैं। जिनसे रेत का दोहन हो रहा है, जगह जगह 50-50 फीट गड्ढे खोद दिए गए हैं। जिसके लिए उन्होंने जगह-जगह आरटीआई भी लगाई है जिसमें जबलपुर नरसिंहपुर होशंगाबाद खरगोन खंडवा आदि जिले शामिल हैं। जिसकी अभी तक कोई जानकारी उन्हें नहीं मिली है। वैसे शासन प्रशासन से अपील की गई है कि नर्मदा जी से रेत निकासी मशीनों के जरिए ना की जाए और इसका खनन मजदूरों से किया जाए जिससे नर्मदा जी का अस्तित्व बचा रहे।
सुनिश्चित हो नर्मदा पथ
भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि नर्मदा जी की परिक्रमा के लिए हर साल 65 से 70 हजार लोग पदयात्रा करते हैं। परिक्रमा करने वाले इन श्रद्धालुओं के लिए निश्चित पथ ना होने के कारण काफी परेशानियां सामने आती हैं। कई लोग जंगल में भटक जाते हैं और निश्चित मार्ग ना होने के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। जल्द ही केंद्र व राज्य शासन के सामने परिक्रमावासियों की इस समस्या को रखा जाएगा। साथ ही नर्मदा पथ सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे जिससे परिक्रमावासियों को परेशानी ना हो।
Created On :   19 March 2018 6:06 PM IST