सबरीमाला: सुप्रीम कोर्ट 13 जनवरी को करेगी समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई

- 28 सितंबर 2018 को SC ने प्रवेश पर लगी रोक को हटाया था
- 9 जजों की संवैधानिक बेंच समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई करेगी
- मंदिर पर '2018 का निर्णय 'अंतिम शब्द' नहीं : CJI बोबडे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में 13 जनवरी को सबरीमाला मंदिर मामले में दाखिल की गई सभी समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई करेगी। हालांकि इस बेंच में कौन-कौनसे जज शामिल रहेंगे, अब तक उनके नाम सामने नहीं आए हैं।
Correction: Sabarimala review petitions will be heard by a 9*-judge Constitution Bench of the Supreme Court from 13th January 2020. pic.twitter.com/Lro0lvSb3Z
— ANI (@ANI) January 6, 2020
क्या था फैसला ?
28 सितंबर 2018 को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यों की संवैधानिक बेंच ने इस पाबंदी को संविधान की धारा 14 का उल्लंघन बताया था। बेंच ने कहा था कि "हर किसी को बिना किसी भेदभाव के मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।" हालांकि इस फैसले पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि "2018 का निर्णय "अंतिम शब्द" नहीं है।" यानी महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटाने का फैसला, अंतिम फैसला नहीं है।
प्रवेश पर रोक क्यों ?
प्रवेश प्रतिबंध का समर्थन करने वाले यह भी तर्क देते हैं कि यह परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही हैं। कुछ लोग यह बताते हैं कि इस मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है और वे "अविवाहित" थे, इसलिए हर आयु वर्ग की महिलाओं का यहां प्रवेश करना बाधित है। वहीं कुछ लोग यह दावा करते हैं कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं का कम से कम 41 दिनों तक व्रत रखना जरूरी होता है। ऐसे में महिलाएं 41 दिनों तक व्रत नहीं रख सकती, क्योंकि वह मासिक धर्म से गुजरती हैं।
दरअसल हिंदू धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को "अपवित्र" माना जाता है। इसी कारण न सिर्फ सबरीमाला, बल्कि सभी मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर उन्हें रोक दिया जाता है। चूंकि 10 साल की बच्चियों को मासिक धर्म नहीं आता है और 50 साल की उम्र तक महिलाओं का मासिक धर्म खत्म हो जाता है, इसलिए 10 से 50 साल आयु तक की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में नहीं जाने दिया जाता है।
Created On :   6 Jan 2020 8:01 PM IST