- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा - लघु...
सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा - लघु उद्योग से होगा देश का विकास, जोशी की इमरान को सलाह

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के विकास के लिए लघु उद्योग को बढ़ावा देने का आव्हान करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि उद्याेग व्यापार के संबंध में सभी से चर्चा करके ही सत्तापक्ष ने निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्ता के साथ विरोधी दल रहता है लेेकिन अब विरोधक प्रतिपक्ष बन गए है। विरोधी दल नहीं रहे। स्थिति को समझना होगा। पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन बांटी जाएगी। लिहाजा उद्योग व व्यापार के बारे में भी विचार करने की आवश्यकता है। संपति का मतलब मुद्रा नहीं जीवन चलानेवाली साधन सामग्री है। लघु उद्योग क्षेत्र को संगठित होना होगा। इसके लिए देश का वैचारिक व मानसिक वातावरण बदलना चाहिए। शुक्रवार को सुरेश भट सभागृह में लघु उद्योग भारती के अधिवेशन का उद्घाटन किया गया। इसी कार्यक्रम में सरसंघचालक बोल रहे थे। रवींद्र वैद्य, जीतेंद्र गुप्त मंच पर थे। सरसंघचालक ने कहा कि 1994 में लघु उद्योग भारती की शुरुआत की गई। उस समय वे नागपुर में संघ के प्रचारक थे। तब अनंत भिडे नागपुर के लिए कार्य कर रहे थे। देश की संपति में लघु व सूक्ष्म उद्योग का योगदान है। भारतीय संविधान ने राजनीतिक व आर्थिक स्वतंत्रता दी है। संविधान ने सामाजिक स्वतंत्रता के निर्देश दिए है। पहले विश्व स्तर पर व्यापार करनेवाले नहीं थे। लेकिन भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी थी। उस तरह की कंपनी दो सौ, तीन सौ वर्ष पहले नहीं थी। हमें आर्थिक स्वतंत्रता नहीं थी। आर्थिक स्वतंत्रता का उद्योग बढ़ने से नागरिक आर्थिक तौर पर स्वतंत्र होंगे। एक दूसरे पर निर्भर रहना ठीक नहीं है। मानसिक स्वतंत्रता की उपासना जरुरी है।
लघु व सूक्ष्म उद्योग को बढ़ाएं
नागपुर में 1920 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। अधिवेशन की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की। उस समय डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार ने पंूजीपतियों से मुक्ति के संबंध में प्रस्ताव पेश किया था। स्पष्ट निर्णय अचूक व मानव हित में होता है। सत्ता में हमारे विचारों के लोग हैं लेकिन वे एक तंत्र से बंधे है। वे हमारा काम करेंगे, आवश्यक नहीं हैं। उनकी इच्छा ठीक करने की है लेकिन वह संभव नहीं है। परिवर्तन एकाएक नहीं आ पाएगा। उथलपुथल होती है।
भारत की चिंता न कर अपने देश को संभालें इमरान : भैयाजी जोशी
कश्मीर मामले पर पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान के बयानों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने दो टूक कहा है कि भारत की चिंता न कर इमरान अपने देश को संभालें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पाकिस्तान के निशाना साधने के मामले पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संघ नहीं भारत पर निशाना साध रहा है। गुरुवार को संघ मुख्यालय रेशमबाग में झंडावंदन कार्यक्रम के बाद श्री जोशी संवाद माध्यम से चर्चा कर रहे थे। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जनसामान्य के विश्वास के साथ देश ऊंचाई की ओर जा रहा है। देश और अधिक ऊंचा होगा। धारा 370 हटने में विलंब अवश्य हुआ है लेकिन उससे सब खुश है। अन्य राज्यों के साथ कश्मीर से एकात्मकता का संबंध जुड़ेगा। कश्मीर में एकात्मकता आएगी। भारत की ओर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में तिरंगा फहराने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार ही कुछ कर सकती है।

महाशक्ति बनकर भी हरेक की विशेषता की रक्षा करेगा भारत : डॉ. मोहन भागवत
इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने देश के लिए त्याग व समर्पण करने का आह्वान करते हुए कहा है कि भारत दुनिया के कल्याण की नीयत रखता है। महाशक्ति बनकर भी हरेक की विशेषता की यह देश रक्षा करेगा। देश के नेतृत्वकर्ताओं के सहयोग का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि संकल्पशक्ति काे समाज की इच्छाशक्ति का साथ मिलना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में उन्होंने कहा, वह है तो मुमकिन है,यह कहना गलत भी नहीं है। गुरुवार को रेशमबाग स्थित संघ के स्मृति मंदिर परिसर में झंडावंदन के बाद सरसंघचालक संबोधित कर रहे थे। कश्मीर में धारा 370 हटने का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता का लाभ देश के अन्य राज्यों में जैसे मिल रहा है वैसे ही वहां भी मिलना चाहिए। वहां के नागरिकों को स्वतंत्रता के साथ जीने का अवसर मिलना चाहिए ,साथ ही प्रत्यक्ष में समानता आनी चाहिए। इस बार के स्वतंत्रता दिन को विशेष ठहराते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता का पहला आयोजन खास था। लाेगों में स्वतंत्रता का आनंद तो था ही उस आनंद के साथ साथ विजय का विश्वास था। देश के लोगों ने अपने कर्तव्य से उस उनका साम्राज्य समाप्त किया था जिनके बारे में कहा जाता था कि उनके साम्राज्य का सूर्यास्त नहीं हो सकता है। हम संकल्पबद्ध हो तो असंभव को भी संभव कर सकते हैं। देश की धुरा जिनके कंधों पर है उनकी संकल्पशक्ति बनाए रखने के लिए समाज की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। स्वतंत्रता के समय कई लोग कहते थे कि यह देश अधिक दिन तक स्वतंत्र नहीं रह पाएगा। देश संभल नहीं पाएगा। उस समय आत्मविश्वास के साथ कहा था कि हम अपने देश का चला ही नहीं सकते है बल्कि देश को पराक्रम की नई नई ऊंचाईयों तक ले जा सकते हैं। तिरंगे के रंगों के संदेश का जिक्र करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि केसरिया रंग त्याग समर्पण, सफेद शांति व हरा रंग समृद्धि की मिसाल है। देश में कोई नागरिक की पूजा, भाषा व प्रदेश अलग हो सकते हैं लेकिन भारतीय के तौर पर सब एक हैं। भारत अन्य देशों की तुलना में अलग है। सबके कल्याण की सोचना व उसके लिए कार्य करना यहां की संस्कृति है। यह देश दूसरे देशों के कल्याण के लिए भी सोचता है।
Created On :   16 Aug 2019 2:55 PM IST