रेरा ट्रिब्यूनल ने बिल्डर की दलील अमान्य कर खारिज की अपील

डिजिटल डेस्क,सतना। मप्र भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण भोपाल (रेरा) के निर्णय के विरूद्ध बिल्डर नारायणदास मोर्डिया की अपील को सुनवाई के बाद रेरा ट्रिब्यूनल ने निरस्त कर दिया है। ट्रिब्यूनल के चेयरमैन और सदस्य द्वय की पीठ ने बिल्डर के द्वारा विलंब से अपील किए जाने के प्रस्तुत कारण को सदभावित न मानते हुए बिल्डर की अपील निरस्त की है। घर खरीददार अनावेदक की ओर से अधिवक्ता अजय सिंह ने पक्ष रखा।
ये है मामला
बिल्डर नारायणदास मोर्डिया के द्वारा निर्मित की जा रही कॉलोनी में प्रांशू यादव ने घर बुक किया था और किस्तों में पैसा अदा किया था। रुपए प्राप्त करने के बाद भी बिल्डर ने अनुबंधित शर्तों का पालन नहीं किया और घर का कब्जा नहीं सौंपा। तब श्री यादव ने रेरा में बिल्डर के विरूद्ध शिकायत दर्ज कराई, जिस पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद रेरा के न्याय निर्णय अधिकारी ने बिल्डर नारायणदास मोर्डिया को 31 लाख 71 हजार रुपए, 10 हजार की क्षतिपूर्ति के साथ 9 प्रतिशत ब्याज का भुगतान प्रांशू यादव को किए जाने का निर्णय 8 मई 2019 को सुनाया था। इसी निर्णय के विरूद्ध बिल्डर की ओर से विलंबित अपील पेश की गई।
बिल्डर ने प्रस्तुत अपील के साथ कहा कि 630 दिन का विलंब है, जो सदभाविक है और कोरोना काल की वजह से हुआ है। वहीं अधिवक्ता श्री सिंह ने तर्क रखते हुए कहा कि विलंब 630 दिन का नहीं है, बल्कि 1033 दिनों का है। इसके अलावा यह भी तर्क प्रस्तुत किए कि नारायणदास मोर्डिया के अलावा अन्य पार्टनर भी हैं, जो अपील कर सकते थे। रेरा प्राधिकरण ने बिल्डर के द्वारा प्रस्तुत आधारों को सदभाविक नहीं पाया और अपील खारिज कर दिया।
इनका कहना है
रेरा ने दो माह के अंदर 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 31 लाख 71 हजार रुपए दिए जाने का निर्णय दिया था। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने 90 दिनों के अंदर राशि दिलाए जाने हेतु कलेक्टर को निर्देशित किया था। राशि अदायगी से बचने के लिए असत्य अपील बिल्डर के द्वारा की गई थी, जिसे प्राधिकरण ने निरस्त किया है।
अजय सिंह, एडवोकेट
Created On :   12 Jan 2023 12:59 PM IST