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घोषणापत्र में किए जानेवाले वादों को लेकर रिपोर्ट की मांग से जुड़ी याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा घोषणापत्र में किए जानेवाले वादों के संबंध में चुनाव आयोग को रिपोर्ट मंगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय बजड़ ने दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में अनेकों वादे करते है। लेकिन इसमे से कितनेवादे पूरे किए गए इसकी जानकारी मतदाताओं को नहीं मिल पाती है। इसलिए चुनाव आयोग राजनीतिक दलों से घोषणापत्र में किए गए वादों में से कितने वादे पूरे हुए इसकी एक रिपोर्ट मंगाए। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के लिए यह संभव नहीं है कि वह राजनीतिक दलों से रिपोर्ट मंगाकर उसका मूल्यांकन करे। खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
आंगनवाडी को चुनावी ड्युटी में बुलाने का हक
चुनाव आयोग ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि आंगवाडी सेविकाएं व सहायिका सरकार के नियंत्रण में आती है और सरकार उन्हें वेतन का भुगतान करती है इसलिए वह उन्हें चुनावी ड्युटी में बुला सकता है। आयोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 26 व 159 के तहत आयोग को आंगनवाडी सेविकाओं को चुनावी ड्युटी में बुलाने का अधिकार है। वहीं आंगनवाडी कर्मचारी महासंघ के वकील क्रांति एलसी ने कहा कि आंगनवाडी सेविकाएं सरकारी कर्मचारी नहीं है। वे स्वयंसेविका है। जो एकीकृत बालविकास योजना के तहत ग्रमीण व आदिवासी इलाको में 6 साल से कम उम्र के बच्चों को पोषक अहार प्रदान करती है और गर्भवती महिलाओं की देखरेख करती है। उन्हें नियमानुसार चुनावी ड्युटी पर नहीं लगाया जा सकता है।
फर्जीवाडा करने वाली फर्म पर हाईकोर्ट ने लगाया 5 करोड़ का जुर्माना
इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस चर्चित कथन का उल्लेख करते हुए बांबे एक व्यावसायिक फर्म व उसके भागीदार पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया और जुर्माने की रकम टाटा मेमोरियल अस्पताल में जमा करने का निर्देश दिया है। इस व्यावसायिक फर्म ने सउदी अरब की एक कंपनी को तेल के प्लांट के लिए पाइप बेचा था। फर्म ने दावा किया था कि वह खुद इस पाइप का निर्माण करती है। लेकिन हकीकत में इस पाइप का निर्माण बहुराष्ट्रीय कंपनी निपान स्टील एंड सुमिटोमो मेटल कार्पोरेशन करती है और इस कंपनी ने व्यावसाायिक फर्म पर अपने ट्रेड मार्क के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में दावा दायर किया था। न्यायमूर्ति एसजे काथावाला के सामने कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति काथावाला ने कहा कि यह मामला कुछ ऐसे निर्लज्ज लोगों का है, जो जल्द से जल्द से पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोगों के मन में सिध्दांतों व नैतिकता को लेकर कोई सम्मान नहीं होता है। लेकिन इनकी करतूतों के चलते हमारे देश की प्रतिष्ठा को अपूर्णीय क्षति पहुंचती है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हिरेन कमोड ने न्यायमूर्ति के सामने कहा कि पाइप को लेकर सउदी अरब की याबून स्टील कंपनी ने उनके पास शिकायत की थी। पूछताछ में पता चला कि यह पाइप किशोर जैन, जितेंद्र व हरीष बुराड ने सऊदी कपंनी को सप्लाई की थी। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने हमारी कंपनी के नाम पर सऊदी अरब की कंपनी को घटीया दर्ज के पाइप भेजे थे। मामले से जुड़े दस्तावेज व सबूतों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसे मामलों को एक उदाहरण के तौर पर पेश करना जरुरी है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने इन तीनों लोगों की व्यावसायिक फर्म पर पांच करोड रुपए का जुर्माना लगाया और जुर्माने की रकम टाटा मेमोरियल अस्पताल में जमा करने का निर्देश दिया।
Created On :   23 April 2019 6:53 PM IST