विवाह से मना करना आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण हरगिज नहीं 

Refusal to marry is not an abetment to suicide
विवाह से मना करना आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण हरगिज नहीं 
युवक के खिलाफ दर्ज धारा 306 का प्रकरण निरस्त विवाह से मना करना आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण हरगिज नहीं 

डिजिटल डेस्क जबलपुर ।  मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विवाह से मना करना आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण नहीं है। इस अभिमत के आधार पर जस्टिस अंजुली पालो की एकलपीठ ने माढ़ोताल निवासी युवक के खिलाफ दर्ज धारा 306 का प्रकरण निरस्त कर दिया है। माढ़ोताल जबलपुर निवासी गोविंद चढ़ार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि एक युवती के आत्महत्या के मामले में माढ़ोताल थाने में धारा 306 का प्रकरण दर्ज किया गया है। युवती द्वारा छोड़े गए कथित सुसाइड नोट में कहा गया कि याचिकाकर्ता के भाई ने दो साल तक उसका शारीरिक शोषण किया। शादी की बात करने पर याचिकाकर्ता और उसका भाई उसके साथ अभद्र व्यवहार करते थे। अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, आशीष त्रिवेदी, अरविंद चौहान और अपूर्व त्रिवेदी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने मृतका से केवल इतना कहा था कि उसका भाई उससे शादी नहीं करेगा। इस आधार पर आत्महत्या के दुष्प्रेरण का मामला नहीं बनता है। मृतका याचिकाकर्ता और उसके भाई के खिलाफ कानूनी उपायों का सहारा ले सकती थी। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज प्रकरण निरस्त कर दिया है।  
 

Created On :   20 Sep 2021 9:44 AM GMT

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