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राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में ही होना चाहिए - महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद ने कहा कि भगवान राम देश के कण-कण में व्याप्त हैं। राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में ही होना चाहिए। इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। पंजाब सेवा समाज की ओर से वर्धमाननगर स्थित प्रीतम भवन में आयोजित श्रीराम कथा ज्ञानगंगा प्रवाह के लिए पधारे महामंडलेश्वर शांतानंद ‘दैनिक भास्कर’ से विशेष बातचीत में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग निहित स्वार्थवश मंदिर का विरोध कर रहे हैं। इस संबंध में सर्वसहमति बनानी चाहिए। भगवान राम का दुनिया को संदेश के सवाल पर कहा कि अयोध्या नरेश राम ने जिस तरह अपने राजधर्म का पालन किया उसी तरह वर्तमान में भी राजधर्म का पालन किया जाना चाहिए। राम ने अपने कार्यों से मैत्रीभाव, भातृभाव, सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया। जीवन में कैसी भी परिस्थिति आए उससे घबराए बिना उसका सामना करना चाहिए।
धूमधाम से हुआ राजतिलक
रामकथा के अंतिम दिन श्रीराम दरबार, श्री लक्ष्मीनारायण क्षीरसागर में विराजमान और राजतिलक का सुंदर आयोजन हुआ। मंगलवार, 24 दिसंबर को को सुबह 8 बजे हवन पूर्णाहुति होगी। 10 बजे संत समागम का आयोजन होगा। संत दिव्यानंद ने कहा कि सभा में जाने पर रावण ने अंगद से कहा कि तू मेरी तरफ हो जा, मैं तेरे पिता की हत्या का बदला लूंगा। तब अंगद ने कहा - रावण, तू अपने कुल का नाम रोशन कर मां सीता को वापस कर दे, राम तुझे माफ कर देंगे। फिर रावण को चुनौती देते हुए कहा- तेरी सभा में कोई शक्तिशाली है, तो मेरा पैर हिलाकर दिखा दे। राम की सौगंध खाकर कहता हूं, राम वहीं से वापस चले जाएंगे। यह होता है भक्त का भगवान पर विश्वास। लक्ष्मण मूर्छा प्रसंग पर सुंदर भजन प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध कर दिया।
जय सियाराम बोलिए
उन्होंने विशेष संदेश दिया कि राम को राम बनाने में सीताजी ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है, इसलिए जय श्रीराम नहीं, जय सियाराम बोलिए। उन्होंने कहा कि सवाल पूछना लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है। बदलाव जरूरी है और इसे स्वीकार करें। कथा के दौरान संत दिव्यानंद ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता का जिक्र किया, ‘जंजीर बढ़ाकर बांध मुझे, आ-आ दुर्योधन बांध मुझे’। यजमानों में रमेश तोताराम खुंगर एवं प्रेम, ओमप्रकाश व हरीश मदान परिवार का समावेश था। मुख्य यजमान जुग्गी उत्तमचंद पुन्यानी परिवार था। संचालन संतोष सावरिया और महेश कुकडेजा ने किया। यह जानकारी सूचना प्रसार समिति के नरेंद्र सतीजा ने विज्ञप्ति में दी है।
सांप्रदायिक नहीं, धार्मिक बनें
संत दिव्यानंद ने कहा कि सांप्रदायिक नहीं, धार्मिक बने और दूसरों में कमियां न निकालें। अपने बच्चों को सांप्रदायिकता का जहर न पिलाएं। बशीर बद्र का शेर सुनाया-‘लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते किसी का घर जलाने में’। फिर सुनाया प्यारा भजन ‘आसरा इस जहां का मिले न मिले, मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए’। उन्होंने कहा कि लोग आपके बारे में कुछ भी कहें, लेकिन आपके थोड़े प्रयास से किसी का भला हो तो जरूर करें। रावण वध की कथा के बाद उन्होंने कहा कि अग्निपरीक्षा में सीताजी नहीं जली, पर उन पर लगे सारे कलंक जल गए। एक सुंदर बात उन्होंने कही कि शिक्षक विश्वविद्यालय के लिए पढ़ाता है, लेकिन गुरु विश्व के लिए पढ़ाते हैं।
Created On :   24 Dec 2019 11:49 AM IST