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मनपा के संशोधित आकृतिबंध का प्रस्ताव शासन की ओर
डिजिटल डेस्क, अकोला। महानगरपालिका में अधिकारी, कर्मचारियों के 2400 पद मंजूर है, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत पद रिक्त है। ठेका तत्व व मानसेवी कर्मचारियों के भरोसे मनपा का कामकाज चल रहा है। पद रिक्त होने से मनपा का आस्थापना खर्च कम होना चाहिए था, लेकिन वह निर्धारित नियमों से अधिक ही रहा। इस कारण तत्कालीन आयुक्त नीमा आरोरा ने संशोधित आकृतिबंध का प्रस्ताव सितंबर 2021 की मनपा सर्वसाधारण सभा में रखा था, जिसको लेकर समिति का गठन कर प्रस्ताव प्रलंबित रखा गया था। महानगरपालिका के हितों को देखते हुए मनपा आयुक्त कविता द्विवेदी ने प्रशासक के तौर पर प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे मंजूरी के लिए राज्य सरकार की ओर भेजा गया है।
महानगरपालिका की स्थापना 2001 में हुई, लेकिन नगर परिषद के दौर के विविध पद अस्तित्व में बने रहे। नाका मोहरीर, सहा. नाका मोहरीर, कुली, चपरासी आदि पदों की जरूरत न होते हुए मनपा में बने रहे। कई पदों आवश्यकता से अधिक मंजूर थे। मनपा आस्थापना पर श्रेणी अ से ड के 2400 पद मंजूर थे। लगभग 900 से अधिक पद रिक्त हुए, लेकिन कई महकमों में मानसेवी व ठेका तत्व कर्मचारियों के भरोसे काम किया जाता रहा। इस कारण कई बरसों से मनपा का आस्थापना खर्च नियंत्रण में नहीं आ पाया। इस बीच शासन आदेश अनुसार तत्कालीन आयुक्त कविता द्विवेदी ने संशोधित आकृतिबंध तैयार करवाया।
1100 से अधिक पद घटाते हुए सिर्फ 1384 पदों का आकृतिबंध सर्वसाधारण सभा की मंजूरी के लिए पेश किया गया। पार्षदों ने विषय को दरकिनार करते हुए समिति गठित करने की मांग रखी थी। इस कारण समिति का गठन कर प्रस्ताव मंजूर करने का निर्णय लिया, लेकिन समिति का गठन ही नहीं हुआ। न ही प्रस्ताव शासन की ओर भेजा जा सका। लगभग एक साल का समय बीत गया। प्रशासक व आयुक्त कविता द्विवेदी ने आकृतिबंध की जरूरत पर गौर करते हुए प्रशासक के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए आकृतिबंध के प्रस्ताव को मंजूरी दी। पश्चात संशोधित आकृतिबंध शासन की ओर भेजा गया। शासन की ओर से प्रस्ताव मंजूर होने पर मनपा में समीकरण बदल जाएंगे।
Created On :   6 Sept 2022 7:22 PM IST