मतदाता सूची तैयार करने निजी स्कूलों के शिक्षकों की नहीं ले सकते सेवा-HC
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि चुनाव आयोग निजी अनुदानित स्कूल के कर्मचारियों को मतदाता सूची तैयार करने व इसके पुनरीक्षण कार्य में नहीं लगा सकता है। क्योंकि निजी अनुदानिक स्कूल स्थानीय निकाय की परिभाषा के दायर में नहीं आते है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 की धारा 29 के तहत चुनाव आयोग सिर्फ स्थानीय निकाय के तहत काम करनेवाले कर्मचारियों को मतदाता सूची तैयार करने के काम में लगा सकता है। इस लिहाज से चुनाव आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर निजी अनुदानित स्कूल के कर्मचारियों को मतदाता सूची के काम के लिए नोटिस जारी किया था। इसलिए आयोग की ओर से जारी की गई नोटिस को रद्द किया जाता है। इस तरह से हाईकोर्ट ने निजी अनुदानित स्कूल के कर्मचारियों को बड़ी राहत प्रदान की है। इस बीच खंडपीठ ने चुनाव आयोग की वकील दृष्टि शाह की उस आग्रह को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम अनुदानित स्कूल के शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी के प्रशिक्षण के लिए तीन दिन बुला रहे हैं। इसके अलावा चुनाव के एक दिन पहले और चुनाव वाले दिन भी शिक्षकों को चुनावी ड्युटी के लिए बुलाया जाएगा। गोरेगांव के शिक्षण मंडल व अभिनव शिक्षण प्रसारक मंडल ने इस विषय को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि उनके स्कूल निजी अनुदानित है। चुनाव आयोग ने उनके स्कूल के कर्मचारियों को मतदाता सूची तैयार करने के काम के अलावा शिक्षकों को चुनावी ड्युटी के लिए नोटिस जारी किया है।
‘जेल में कैसे डूब कर जान गवां सकते हैं कैदी’
वही दूसरे मामले में बांबे हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों की अप्राकृतिक मौत के मामलों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कैदियों की अप्राकृतिक मौत के मामले में जेल प्रशासन द्वारा बताई गई वजहों पर भी हैरानी जताई है। कैदियों की अप्राकृतिक मौत के लिए आत्महत्या के अलावा दुर्घटना व पानी में डूबकर मरने को भी वजह बताया गया है। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने पाया कि साल 2012 से 2017 के बीच 19 कैदियों की अप्राकृतिक मौत हुई है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई के दौरान इन कैदियों के परिवारवालों को मिले मुआवजे की जानकारी के साथ ही कैदियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी हमारे सामने पेश की जाए। खंडपीठ ने कहा कि आखिर जेल में बंद लोग कहां डूब सकते हैं और कैसे दुर्घटना का शिकार हो सकते ? खंडपीठ ने सरकार से जानना चाहा है कि वर्तमान में राज्य भर की जेलों में कितने कैदियों को रखने की क्षमता है और जेलों में कितने कैदियों को रखा गया है। जेल में कैदियों को किस तरह की मेडिकल सुविधाएं दी जा रही है। जेले के लिए कितने डाक्टर मंजूर किए गए हैं? यह सारी जानकारी हमारे सामने तीन सप्ताह के भीतर हलफनामे में प्रदान की जाए। हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों की स्थिति के मुद्दे का खुद संज्ञान लिया है और इसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि कैदियों की अप्राकृतिक मौत होने पर इसकी जानकारी 24 घंटे के भीतर मानवाधिकार आयोग को दी जाती है और आयोग के निर्देश पर कुछ कैदियों के परिजनों को मुआवजा प्रदान किया गया है। कुछ कैदियों के मामले मुआवजे के लिए प्रलंबित हैं। सरकार ने जेल में कैदियों को सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। ताकि कैदियों के जीवन में बदलाव लाया जा सके। सरकार ने नई जेलों के निर्माण की दिशा में भी कदम उठाए हैं और मौजूदा जेलों में भी निर्माण कार्य कर व अतिरिक्त जगह बनाई गई है।
पूर्व विधायक कालानी को जेल में बिताना होगा पूरा जीवन- सजा माफी की अर्जी खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हत्या के मामले में जेल में बंद पूर्व विधायक सुरेश (पप्पू) कालानी के जेल से रिहाई का रास्ता बंद हो गया है। सरकारी समिति ने उसकी सजा माफ करने की अर्जी खारिज कर दी है। इससे अब पप्पू कालानी को मृत्य तक जेल में ही रहना होगा। साल 1990 में कालानी को इंदर भाटीजा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। सजा में इस बात का उल्लेख था कि कालानी को मौत तक जेल में रहना होगा। सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा पर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगाई थी। कालानी अब तक साढ़े 13 साल जेल में काट चुका है। नियमों के मुताबिक कारावास में अच्छा व्यवहार रहने पर सरकार किसी भी कैदी के जेल में 14 साल पूरे होने के बाद उसकी सजा माफ कर सकती है। इसी नियम का फायदा उठाने के लिए पुणे स्थित येरवडा जेल में बंद कालानी ने कारागृह अधीक्षक के माध्यम से सरकारी समिति के पास बाकी सजा माफ कर जेल से छोड़ने की अर्जी दी थी। लेकिन इंदर भाटीजा के भाई कमल भाटीजा ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि कालानी के खिलाफ 65 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और उसके छूटने से उनकी जान को खतरा हो सकता है। इसके बाद कालानी की अर्जी समिति ने ठुकरा दी। जिससे 70 साल से ज्यादा उम्र के हो चुके कालानी की जेल से निकलने की उम्मीद खत्म हो गई। बता दें कि कालानी की पत्नी ज्योति कालानी फिलहाल उल्हासनगर से राकांपा विधायक हैं। उसके बेटे ओमी कालानी ने अपनी ‘टीम ओमी कालानी’ बनाई है जिसका फिलहाल भाजपा के साथ समझौता है। ओमी की पत्नी पंचम कालानी उल्हासनगर की महापौर है।
Created On :   12 April 2019 10:23 PM IST